सब तकलीफों का मूल है पाँच क्लेश है | अविद्या माना जो विद्यमान वस्तु नहीं है उसको विद्यमान दिखाये और जो विद्यमान है उसको ढक दे.. उसको अविद्या बोलते है, माया भी बोलते है | तो एक है अविद्या सब दु:खों का मूल | फिर अविद्या के बल से आती है अस्मिता – शरीर को ‘मैं’ मनाने की बेवकूफी | ये अस्मिता के दो बच्चे है – राग और द्वेष | राग – पक्षपात करायेगा और द्वेष - जलायेगा | और पाँचवा है अभीनिवेश – मृत्यु का भय | मृत्यु से भय से मृत्यु तो नहीं टलता लेकिन मृत्यु बिगडता है | तो रोज सुबह उठे, मेरे जठरा में जठराग्नि है | अविद्या – स्वाहा, अस्मिता – स्वाहा, राग – स्वाहा, द्वेष – स्वाहा और अभीनिवेश (मरने का डर) – स्वाहा |
ये तीन महीने १८० दिन करो हलका-फुल हो जायेगा मन, बुद्धि, शरीर, निरोगता में भी मदद मिलेगी | रोज सुबह जठरा नाभि के आगे देख के ये भावना करों ये जठराग्नि है | त्रिकोणाकार जैसे यज्ञ कुंड चौड़ा होता है अग्नि की लौ ऊपर पतली होती है | ऐसे अग्नि तो है ही है | उस अग्नि में ये पाँच – अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभीनिवेश स्वाहा करो | बहुत लाभ होगा | १०८ दिन का ये कोर्स करो |
108 day spiritual course
The root of all troubles are five pangs. 'Ignorance (Avidya)' means one which is not present, imagining its presence and curtaining over one which is truly present, it is called as Maya. It is one of the root cause of all sufferings. 'Ignorance' receives power from 'Ego (Asmita)' - foolishly considering the body as "Me". Asmita has two siblings - 'Attachment (Raag)' and 'Aversion (Dwesh)'. Attachment forces us to favouritism and aversion causes burning hatred. The fifth pang is 'Fear of death (Abhinivesh)'. fear of death does not do much to avert death rather construes the event of death. So, when you wake up every morning, there exists the digestive fire in your stomach. Offer all five as sacrifice in this pyre.
Avidya - Swaha, Asmita - Swaha, Raag - Swaha, Dwesha - Swaha and Abhinivesh - Swaha.
Practice this course for 108 days (around three months), mind, intellect, body will feel at peace and will also help in maintaining good health. Every morning when you get up, focus on the digestive fire in your stomach . Just as a triangular pyre appears, with its flames rising upwards. Such is a flame. Now offer sacrifice of all five in this pyre.
Avidya - Swaha, Asmita - Swaha, Raag - Swaha, Dwesha - Swaha and Abhinivesh - Swaha
You shall immensely benefit from this practice. Do a course of 108 days.
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Pujya Bapuji Ahmedabad 22nd June' 2013
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