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Tuesday, July 23, 2013

विनियोग

ॐ माना अंतर आत्मा अनंत ब्रह्माण्ड में व्याप्त सभी का हितेषी परमेश्वर, सबका जहाँ से मै-मै सफुरित होता है वो अंतर आत्मा प्रभु का नाम ॐ है | ये भगवान विष्णु ने नहीं बनाया, भगवान ब्रह्मा ने नही बनाया, शिवजी ने नहीं बनाया, पहले ही था श्रृष्टि ब्रह्मा जी ने बनाई उसके पहले ही था ये | एक होता है निर्माण दूसरा होता है खोज, निर्माण उसका होता है जो पहले नही है और खोज उसकी होती है जो पहले था | भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी का निर्माण किया लेकिन ॐकार मन्त्र पहले ही था | भगवान नारायण ने ॐ कार मन्त्र की खोज की तो जो मन्त्र की शक्तियां और मन्त्र का मूल जो खोजता है उसको ऋषि बोलते है, ऋषि तू मन्त्र द्रष्टार | इसलिए ॐ कार मन्त्र के ऋषि भगवान नारायण माने जाते है जब भी मन्त्र जाप करते है तो प्रतिज्ञा करनी पड़ती है कि हम ये मन्त्र जपेंगे, ये मन्त्र की छंद ये है, उनके ऋषि ये है और मन्त्र जपने का उद्देश्य ये है, मन्त्र जपने के पहले ये संकल्प होता है |
ॐकार मंत्र
अथ: ॐ कार मन्त्र गायित्री छंद परमात्मा नारायण ऋषि अंतर्यामी देवता अंतर्यामी प्रीती अर्थे अंतर्यामी प्राप्ति अर्थे सदबुद्धि प्राप्ति अर्थे इश्वर प्राप्ति अर्थे आत्मसाक्षातकार  अर्थे जपे विनियोग | 
गायत्री मंत्र
अथ: गायत्री मन्त्र विश्वामित्र ऋषि सूर्य देवता गायत्री छंद मुक्ति प्राप्ति अर्थे सतमती प्राप्ति अर्थे आरोग्य प्राप्ति अर्थे पुत्र प्राप्ति अर्थे | जिसको जो चाहिए उसका संकल्प उसको करना होता है, ये गायत्री मन्त्र का है |

नमः शिवाय मंत्र
ॐ नमः शिवाये मन्त्र शिवजी देवता गायत्री छंद वशिष्ठ ऋषि....

भगवत परख जो मन्त्र होता है उसकी छंद गायित्री होती है  | ये ॐ कार मन्त्र की शक्तियां बहुत सारी है |

Prayer request
AUM is the inner soul which permeates this entire universe and is the universal caretaker, Lord. The place from where the notion of 'I' originates, that alone is our inner soul Lord, AUM. This was neither extolled by Lord Vishnu nor Lord Brahma or even Lord Shiva. IT existed even before Lord Brahma created this world. There is invention and then there is discovery. Invention is for things that didn't exist earlier and discovery is for things that already existed. Lord Vishnu created Lord Brahma but AUM - kar mantra already existed. Lord Vishnu discovered AUM mantra. One who discovers mantra is known as a Rishi. Rishi, You are the observer of this mantra. Thus, Lord Vishnu is known as the Rishi of AUM mantra. When reciting this mantra, one must make a resolve that you are now reciting this mantra, this is the Chanda of this mantra, this is the Rishi of this mantra and this is the purpose of reciting this mantra. This resolve should be taken before reciting any mantra.
AUM mantra
ATHA AUM KAR MANTRA, GAYATRI CHANDAH PARMATMA NARAYAN RISHIH ANTARYAMIN DEVATAH ANTARYAMIH PRITI ARTHE ANTARYAMIH PRAPTI ARTHESADBUDDHI PRAPTI ARTHE ISHWAR PRAPTI ARTHE ATMASAKSHATKAAR ARTHE JAPE VINIYOGAH |
GAYATRI mantra
ATHA GAYATRI MANTRA VISHWAMITRA RISHIH SURYA DEVATAH GAYATRI CHANDAH MUKTI PRAPTI ARTHE SATMATIH PRAPTI ARTHE AAROGYA PRAPTI ARTHE PUTRA PARPTI ARTHE.
One can add as per each one's desires to this Gayatri mantra.
AUM NAMAH SHIVAYA mantra
ATHA AUM NAMAH SHIVAYA MANTRA, PANKTIH CHANDAH VAAMDEV RISHIH SHIVA DEVATAH AUM BIJAM NAMAH SHAKTIH SHIVA KEELAKAM SHIVAYA BEEJAM ATMA PRAPTI ARTHE JAPE VINIYOGAH |
All mantras empowered with AUM syllable have numerous potent powers.

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- Pujya Bapuji Hyderabad 3rd July' 2013

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