हरे पत्तोंवाले शाक विटामिन्स व विभिन्न खनिज तत्त्वों से भरपूर होते हैं |
इनमें पौष्टिक तत्त्व व रेशे भी अधिक होते हैं | ये एक बेहतर प्राकृतिक टॉनिक का
कार्य करते हैं |
पालक
पालक की भाजी रक्त की वृद्धि व शुद्धि करती है और हड्डियों को मजबूत बनाती है
| यह पेटसंबंधी बीमारियों में औषधि का कार्य करती है तथा आँतों में मल का संचय
नहीं होने देती |
बुखार, पथरी, आँतों के रोग, कब्ज, रक्ताल्पता, रतौंधी, यकृत – विकार, पीलिया,
बालों के असमय गिरने, प्रदर रोग आदि में यह लाभदायक है | बच्चों की शारीरिक वृद्धि
एवं पोषण में तथा गर्भिणी स्त्रियों के लिए यह बहुत उपयोगी है |
प्रतिदिन पालक के रस के सेवन से शरीर की शुष्कता व रक्त के विकार नष्ट होते
हैं | १०० ग्राम पालक के रस में १०० ग्राम गाजर का रस मिलाकर पीने से तेजी से रक्त
की वृद्धि होती है व नेत्रज्योति बढ़ती है | सूखा रोग में बच्चों को आधी कटोरी पालक
का रस नियमित रूप से देना चाहिए |
बथुआ ( मराठी में चाकवत भाजी )
बथुआ पथ्यकर व उत्तम शाक है | यह आँखों के लिए विशेष हितकर है |
यह बल – वीर्य
को बढ़ाता है, त्रिदोष ( वात, पित्त व कफ ) को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों को
नष्ट करता है | आमाशय व यकृत को शक्ति प्रदान करता है | यह पाचनशक्ति को विकसित कर
भूख बढ़ाता है | इसके सेवन से मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है | बवासीर में यह
बहुत लाभदायी है | कृमि, अम्लपित्त, अजीर्ण, मिर्गी, दमा, खाँसी, प्लीहावृद्धि आदि
में भी लाभकारी है | कब्ज की तकलीफ होने पर २ -३ दिन बथुए का रायता खाने से लाभ
होता है |
मूली के पत्ते
ये रुचिकर, हलके, गर्म तथा पाचक होते हैं | इनमें लौह तत्त्व (iron) पर्याप्त मात्रा में होता है |
ये यकृत, प्लीहा व गुर्दे के रोग, हिचकी, मूत्रसंबंधी विकार, उच्च रक्तचाप,
मोटापा, बवासीर, खून की कमी व पाचन-संबंधी गड़बड़ियों में खूब लाभदायी हैं | मूली के
पत्तों का ५० ग्राम रस कुछ दिन लेना सूजन में फायदेमंद है |
मेथी
मेथी की भाजी गर्म, पित्तवर्धक, सूजन मिटानेवाली व मृदु विरेचक होती है | यह वायु, कफ व ज्वर नाशक है | कृमि, पेट के रोग, संधिवात, कमरदर्द व शारीरिक
पीड़ा में लाभदायी है | पित्त-प्रकोप, अम्लपित्त व दाह में मेथी न खायें |
पेट में गैस की समस्या तथा गठिया व अन्य वातरोगों में नियमित रूप से इसका सेवन
लाभकारी है | प्रसव के बाद इसका सेवन विशेषरूप से करना चाहिए | यह कब्ज को नष्ट
करके उदर-रोगों से सुरक्षित रखती है |
५० मि.ली. मेथी के पत्तों के रस में शहद मिला के कुछ दिन पीने से यकृत व
पित्ताशय के विकारों एवं बहुमुत्रता में बहुत लाभ होता है |
स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से