२३ अक्टूबर : रविपुष्यामृत योग ( सूर्योदय से रात्रि ८-४० तक )
२६ अक्टूबर : रमा एकादशी ( यह व्रत बड़े – बड़े पापों को हरनेवाला, चिन्तामणि
तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है | ), ब्रह्मलीन श्री माँ
महँगीबाजी का महानिर्वाण दिवस
२८ अक्टूबर : धनतेरस ( इस दिन घर के द्वार पर दीपदान करने से अपमृत्यु का भय
नहीं होता | )
२९ अक्टूबर : नरक चतुर्दशी ( शाम की संध्या और रात्रि में मंत्रजप करने से
मंत्र सिद्ध होता है | )
३० अक्टूबर : दीपावली ( रात्रि में किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है | )
३१ अक्टूबर : नूतन वर्षारम्भ ( गुजरात ), बलि प्रतिपदा ( पूरा दिन शुभ
मुहूर्त, सर्व कार्य सिद्ध करनेवाली तिथि )
६ नवम्बर : रविवारी सप्तमी ( दोपहर १२-१७ से ७ नवम्बर सूर्योदय तक )
९ नवम्बर : अक्षय – आँवला नवमी ( इस दिन किया हुआ जप-ध्यान आदि पुण्यकर्म
अक्षय होता है | आँवले के वृक्ष के नीचे बैठकर जप, पूजन करें, इससे विशेष लाभ होता
है |)
११ नवम्बर : त्रिस्पृशा देवउठी – प्रबोधिनी एकादशी ( इस दिन उपवास करने से
१००० एकादशी व्रतों का फल प्राप्त होता है | जप, होम, दान सब अक्षय होता है | यह
उपवास हजार अश्वमेध तथा सौ राजसूय यज्ञों का फल देनेवाला, ऐश्वर्य, सम्पत्ति,
उत्तम बुद्धि, राज्य तथा सुख प्रदाता है | मेरु पर्वत के समान बड़े-बड़े पापों को
नाश करनेवाला, पुत्र-पौत्र प्रदान करनेवाला है | इस दिन गुरु का पूजन करने से
भगवान प्रसन्न होते हैं व भगवान विष्णु की कपूर से आरती करने पर अकाल मृत्यु नहीं
होती | )
१६ नवम्बर : विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२-२४ तक )
(विष्णुपदी संक्रांति में किये गये जप –ध्यान व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है
| - पद्म पुराण )
२० नवम्बर : रविवारी सप्तमी ( सूर्योदय से रात्रि १-५८ तक )
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से
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