बुद्धि को तेजस्वी व निर्मल बनाने का एक सरल प्रयोग बताते हुए पूज्यश्री कहते
हैं :
“यदि प्रात:, दोपहर और संध्या के समय तुलसी का सेवन किया जाय तो उससे मनुष्य
की काया इतनी शुद्ध हो जाती है जितनी अनेक बार चान्द्रायण व्रत रखने से भी नहीं
होती | तुलसी तन, मन और बुद्धि – तीनों को निर्मल, सात्त्विक व पवित्र बनाती है |
यह काया को स्थिर रखती है, इसलिए इसे ‘कायस्था’ कहा गया है |"
"त्रिकाल संध्या के
बाद ७ तुलसीदल सेवन करने से शरीर स्वस्थ, मन प्रसन्न और बुद्धि तेजस्वी व निर्मल
बनती है |”
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१६ से
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