(कार्तिक मास व्रत : १६ अक्टूबर से १४ नवम्बर )
स्कंद पुराण में लिखा है : ‘कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं हैं, सत्ययुग
के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान
दूसरा कोई तीर्थ नहीं है |’ – ( वैष्णव खण्ड, का.मा. : १.३६-३७)
कार्तिक मास में सुबह नींद में से उठते ही अपने शुभ ( आत्मा-परमात्मा) का
चिंतन करें | आज क्या देय ( देने योग्य ) है ?
क्या अनुकरणीय है और क्या त्याज्य है ? – यह विचार कर लें | फिर शांतचित्त
होकर अपने परमात्मदेव का सुमिरन करने एवं मंत्रजप के बाद जिस तरफ के नथुने से
श्वास चलता हो वही हाथ मूँह की उसी तरफ घुमाये और वही पैर धरती पर रखें तो मनोरथ
सफल होता है |
कार्तिक मास में वर्जित
ब्रह्माजी ने नारदजी को कहा : ‘कार्तिक मास में चावल, दालें, गाजर, बैंगन,
लौकी और बासी अन्न नहीं खाना चाहिए | जिन फलों में बहुत सारे बीज हों उनका भी
त्याग करना चाहिए और संसार – व्यवहार न करें |’
कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी
प्रात: स्नान, दान, जप, व्रत, मौन, देव – दर्शन, गुरु – दर्शन, पूजन का अमिट
पुण्य होता है | सवेरे तुलसी का दर्शन भी समस्त पापनाशक है | भूमि पर शयन,
ब्रह्मचर्य का पालन, दीपदान, तुलसी – वन अथवा तुलसी के पौधे लगाना हितकारी है |
भगवदगीता का पाठ करना तथा उसके अर्थ में अपने मन को लगाना चाहिए | ब्रह्माजी
नारदजी को कहते हैं कि ‘ऐसे व्यक्ति के पुण्यों का वर्णन महीनों तक भी नहीं किया
जा सकता |’
श्रीविष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष लाभदायी है | 'ॐ नमो
नारायणाय '| इस महामंत्र का जो जितना अधिक जप करें, उसका उतना अधिक मंगल होता है |
कम – से – कम १०८ बार तो जप करना ही चाहिए |
प्रात: उठकर करदर्शन करें | ‘पुरुषार्थ से लक्ष्मी, यश, सफलता तो मिलती है पर
परम पुरुषार्थ मेरे नारायण की प्राप्ति में सहायक हो’ – इस भावना से हाथ देखें तो
कार्तिक मास में विशेष पुण्यदायी होता है |
सूर्योदय के पूर्व स्नान अवश्य करें
जो कार्तिक मास में सूर्योदय के बाद स्नान करता है वह अपने पुण्य क्षय करता है
और जो सूर्योदय के पहले स्नान करता है वह अपने रोग और पापों को नष्ट करनेवाला हो
जाता है | पुरे कार्तिक मास के स्नान से पापशमन होता है तथा प्रभुप्रीति और सुख –
दुःख व अनुकूलता – प्रतिकूलता में सम रहने के सदगुण विकसित होते हैं |
हम छोटे थे तब की बात है | हमारी माँ कार्तिक मास में सुबह स्नान करती, बहनें
भी करतीं, फिर आस - पडोस की माताओं - बहनों के साथ मिल के भजन गातीं | सूर्योदय से
पहले स्नान करने से पुण्यदायी ऊर्जा बनती है, पापनाशिनी मति आती है | कार्तिक मास
का आप लोग भी फायदा उठाना |
३ दिन में पुरे कार्तिक मास के पुण्यों की प्राप्ति
कार्तिक मास के सभी दिन अगर कोई प्रात: स्नान नहीं कर पाये तो उसे कार्तिक मास
के अंतिम ३ दिन – त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा ( इस वर्ष में १२, १३, १४ नवम्बर २०१६ ) को 'ॐकार' का जप करते
हुए सुबह सूर्योदय से तनिक पहले स्नान कर लेने से महीनेभर के कार्तिक मास के स्नान
के पुण्यों की प्राप्ति कही गयी है |
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स्त्रोत
– ऋषिप्रसाद -अक्टूबर २०१५ से
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