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Wednesday, October 26, 2016

पत्तेदार शाक खायें, शरीर को स्वस्थ व निरोगी बनायें


हरे पत्तोंवाले शाक विटामिन्स व विभिन्न खनिज तत्त्वों से भरपूर होते हैं | इनमें पौष्टिक तत्त्व व रेशे भी अधिक होते हैं | ये एक बेहतर प्राकृतिक टॉनिक का कार्य करते हैं |

पालक
पालक की भाजी रक्त की वृद्धि व शुद्धि करती है और हड्डियों को मजबूत बनाती है | यह पेटसंबंधी बीमारियों में औषधि का कार्य करती है तथा आँतों में मल का संचय नहीं होने देती |

बुखार, पथरी, आँतों के रोग, कब्ज, रक्ताल्पता, रतौंधी, यकृत – विकार, पीलिया, बालों के असमय गिरने, प्रदर रोग आदि में यह लाभदायक है | बच्चों की शारीरिक वृद्धि एवं पोषण में तथा गर्भिणी स्त्रियों के लिए यह बहुत उपयोगी है |

प्रतिदिन पालक के रस के सेवन से शरीर की शुष्कता व रक्त के विकार नष्ट होते हैं | १०० ग्राम पालक के रस में १०० ग्राम गाजर का रस मिलाकर पीने से तेजी से रक्त की वृद्धि होती है व नेत्रज्योति बढ़ती है | सूखा रोग में बच्चों को आधी कटोरी पालक का रस नियमित रूप से देना चाहिए |

बथुआ ( मराठी में चाकवत  भाजी )
बथुआ पथ्यकर व उत्तम शाक है | यह आँखों के लिए विशेष हितकर है | 
यह बल – वीर्य को बढ़ाता है, त्रिदोष ( वात, पित्त व कफ ) को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों को नष्ट करता है | आमाशय व यकृत को शक्ति प्रदान करता है | यह पाचनशक्ति को विकसित कर भूख बढ़ाता है | इसके सेवन से मासिक धर्म की अनियमितता दूर होती है | बवासीर में यह बहुत लाभदायी है | कृमि, अम्लपित्त, अजीर्ण, मिर्गी, दमा, खाँसी, प्लीहावृद्धि आदि में भी लाभकारी है | कब्ज की तकलीफ होने पर २ -३ दिन बथुए का रायता खाने से लाभ होता है |

मूली के पत्ते
ये रुचिकर, हलके, गर्म तथा पाचक होते हैं | इनमें लौह तत्त्व (iron) पर्याप्त मात्रा में होता है |
ये यकृत, प्लीहा व गुर्दे के रोग, हिचकी, मूत्रसंबंधी विकार, उच्च रक्तचाप, मोटापा, बवासीर, खून की कमी व पाचन-संबंधी गड़बड़ियों में खूब लाभदायी हैं | मूली के पत्तों का ५० ग्राम रस कुछ दिन लेना सूजन में फायदेमंद है |

मेथी
मेथी की भाजी गर्म, पित्तवर्धक, सूजन मिटानेवाली व मृदु विरेचक होती है | यह वायु, कफ व ज्वर नाशक है | कृमि, पेट के रोग, संधिवात, कमरदर्द व शारीरिक पीड़ा में लाभदायी है | पित्त-प्रकोप, अम्लपित्त व दाह में मेथी न खायें |

पेट में गैस की समस्या तथा गठिया व अन्य वातरोगों में नियमित रूप से इसका सेवन लाभकारी है | प्रसव के बाद इसका सेवन विशेषरूप से करना चाहिए | यह कब्ज को नष्ट करके उदर-रोगों से सुरक्षित रखती है |

५० मि.ली. मेथी के पत्तों के रस में शहद मिला के कुछ दिन पीने से यकृत व पित्ताशय के विकारों एवं बहुमुत्रता में बहुत लाभ होता है |


स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – आक्टोबर २०१६ से    

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