क्या
करें
१]
मुख खुला रखना दुर्बल चरित्र का चिन्ह तो है ही, इससे फेफड़े भी खराब होते हैं अत:
श्वास सदा नाक से ही लेना चाहिए |
२]
समतल व कड़े बिस्तर पर सोने से पाचनक्रिया ठीक रहती है | रात्रि को बायीं करवट ले
के सोना चाहिए |
३]
मालिश के समय पहले नाभि में तेल लगायें तथा पैरों के अंगूठों व तलवों की अच्छे-से
मालिश करें, इससे नेत्र सुरक्षा होती है |
४]
सत्संग, ध्यान, प्रार्थना आध्यात्मिक उन्नति व सर्वांगीण विकास के राजमार्ग हैं |
इनसे चिंता, भय, अशांति सहज में ही मिटती हैं |
क्या
न करें
१]
लेट के, झुककर, कम प्रकाश में व किताब नेत्रों के खूब पास ला के पढना हानिकारक है
|
२]
पेट के बल सोने से श्वसन तंत्र व पाचनक्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है | मुख ढक के
सोने से बुद्धि मंद होती है | दिन को न सोयें ( यदि लेटना जरूरी हो तो दायी करवट लेटें
|)
३]
बिना सोचे-समझे जोश में आ के कार्य करने से नस-नाड़ियों का संतुलन बिगड़कर रोगों की
उत्पत्ति होती है |
४]
चिंता करने से नाड़ियों की शक्ति क्षीण हो जाती है | योग्यता का ह्रास, बुद्धि का
नाश तथा स्वास्थ्य की हानि होती हैं |
ऋषिप्रसाद – मार्च २०१९ से
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