नित्य अपने साथ शिक्षाप्रद श्लोक, सुवाक्य या स्तोत्र रखो
| दिन में जब भी समय मिले, उनका लाभ लो | कुछ ही दिनों में तुम्हें एक निराला
आनंद, आत्मा-परमात्मा की अनोखी झाँकियाँ दिखने लगेंगी |
(इस हेतु सत्साहित्य सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध
श्रीमद्भगवद्गीता, श्री गुरुगीता, श्री नारायण स्तुति, जीवन रसायन, मधुर व्यवहार,
निर्भय नाद, आत्मगुंजन, श्री ब्रह्मरामायण आदि सत्साहित्य का लाभ ले सकते हैं |) –
पूज्य बापूजी
ऋषिप्रसाद – मार्च २०१९ से
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