आयुर्वेद के
अनुसार अरंडी का तेल केवल विरेचक ही नहीं अपितु शरीर की सभी धातुओं पर उत्तम कार्य
करनेवाला भी है | यह उष्ण, तीक्ष्ण, तीखा, कसैला, उत्तम वातनाशक व पचने में भारी
है | यह जठराग्नि, स्मृति, मेधा, कांति, बल-वीर्य और आयुष्य को बढ़ानेवाला एवं
युवावस्था को प्रदीर्घ रखनेवाला तथा रसायन और ह्रदय के लिए हितकर है |
नियमित सेवन से
होनेवाले लाभ
१] रात को १००
मि.ली.पानी में १ से २ ग्राम सोंठ डालकर उबलने रख दें | ५० मि.ली. रहने पर उतार
लें | गुनगुना रहने पर इसमें २ – ४ चम्मच अरंडी तेल मिला के पियें | अथवा रोटी
बनाते समय १ व्यक्ति के लिए १ से २ चम्मच अरंडी तेल आटे में मिलाकर आटा गूँधें |
इस प्रकार बनी रोटियाँ खायें |
उपरोक्त प्रयोग कई
बीमारियों में लाभकारी है, विशेषरूप से आमवात (गठिया), कमरदर्द एवं कब्ज वालों के
लिए यह बहुत उपयोगी है |
२] अरंडी तेल के
नियमित सेवन से मुत्रावरोध, अंडवृद्धि, अफरा, वायुगोला, दमा, चर्मरोग, रक्ताल्पता,
कमरदर्द आदि रोगों में लाभ होता है |
३] यह योनिगत व
शुक्रगत दोषों, मलाशय व मूत्राशय के दोषों तथा रक्तदोषों को हरता है |
४] घाव को जल्दी
भरकर संक्रमण होने से बचाता है |
५] सिरदर्द अथवा
तलवों में होनेवाली जलन में अरंडी तेल की प्रभावित स्थान पर मालिश लाभदायी है |
स्वास्थ्यप्रद सरल
घरेलू नुस्खे
१] जोड़ों की
तकलीफें व आमवात : १० से २० मि.ली. गोमूत्र अर्क में समभाग पानी तथा २ – ४ चम्मच
अरंडी तेल मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से आमवात में लाभ होता है | जोड़ों की अकडन,
सूजन और दर्द कम होते है |
२] गृध्रसी
(सायटिका) : १० से २० मि.ली. गोमूत्र अर्क में समभाग पानी तथा एक चम्मच अरंडी का
तेल मिलाकर रोज सुबह-शाम लेने से आराम होता है |
३] बवासीर,
कब्जियत व अपेंडिसाइटिस : ५ ग्राम त्रिफला चूर्ण को १ कटोरी पानी में उबालें |
चौथाई भाग पानी शेष रहने पर छान के उसमें २ – ४ चम्मच अरंडी तेल मिला के पियें |
इससे कब्जियत दूर होकर बवासीर में आराम मिलता है | इस प्रयोग से पाचक रस बनता है
और अपेंडिक्स के दर्द में भी राहत मिलती है |
अरंडी तेल में घृतकुमारी का रस
मिलाकर लगाने से बवासीर की जलन व दर्द कम होते हैं |
सावधानी : अरंडी
तेल का सेवन अल्प मात्रा में ही करना चाहिए | छोटे बच्चे, गर्भवती तथा स्तनपान
करानेवाली महिलाएँ अरंडी तेल का सेवन न करें |
लोककल्याणसेतु
– फरवरी २०२० से
No comments:
Post a Comment