Search This Blog

Sunday, February 9, 2020

स्वास्थ्यरक्षक व पुष्टिवर्धक – गाजर


ग्राही गृज्जनकस्तीक्ष्णो वातश्लेष्मार्शसां हित: |
(चरक संहिता, सूत्रस्थान : २७.१७४)

गाजर स्वाद में मधुर, कसैली तथा स्निग्ध, तीक्ष्ण, उष्णवीर्य, मल को बाँधनेवाली, मूत्रल, ह्रदय – हितकर, रक्तशुद्धिकर, वातदोषनाशक, कफ निकालनेवाली, पुष्टिवर्धक, बवासीरवालों के लिए हितकारी तथा दिमाग एवं नस – नाड़ियों के लिए बलप्रद है |

गाजर के विभिन्न लाभ

१)    विटामिन ‘ए’ प्रचुर मात्रा में होने से यह नेत्रज्योतिवर्धक है | दृष्टिमंदता, रतौंधी, पढ़ते समय आँखों में तकलीफ होना आदि रोगों में कच्ची गाजर या उसके रस का सेवन लाभप्रद है | यह प्रयोग चश्मे का नम्बर घटा सकता है |

२)    गाजर को खूब चबाकर खाने से दाँत मजबूत, स्वच्छ एवं चमकदार होते हैं तथा मसूड़े मजबूत बनते हैं |

३)    गाजर के रस का नित्य सेवन करने से दिमागी कमजोरी दूर होती है | गाजर का हलवा भी मस्तिष्क को पुष्ट करता है |

४)    गाजर का रस पीने से पेशाब खुलकर आता है, रक्तशर्करा भी कम होती है | इसमें लौह तत्त्व भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है |

५)    यह कफ व वात के रोगियों के लिए हितकारी है | कफशामक होने से यह वसंत ऋतू ( १९ फरवरी से १८ अप्रैल ) में विशेष लाभकारी है |

सावधानीयाँ : तीक्ष्ण, उष्णवीर्य होने के कारण पित्त प्रकृति के लोग गाजर का सेवन कम करें | गाजर को भीतर का पीला भाग निकालकर खाना चाहिए क्योंकि वह अत्यधिक गर्म प्रकृति का होने से पित्तदोष, वीर्यदोष एवं छाती में जलन उत्पन्न करता है |

ऋषिप्रसाद – फरवरी २०२० से

No comments: