१] पलाश के फूलों
के रंग से होली खेलनी चाहिए | होली के बाद धरती पर सूर्य की सीधी तीखी किरणें पडती
हैं, जिससे सप्तरंग और सप्तधातुओं में हलचल मच जाती है | अत: पलाश और गेंदे के
फूलों का रंग हम होली पूर्णिमा और धुलेंडी को एक – दूसरे पर छिडकें तो वह सप्तरंग,
सप्तधातुओं को संतुलित करेगा और हमें सूर्य की सीधी तीखी धूप पचाने की शक्ति
मिलेगी | अब दुर्भाग्य यह हो गया कि विकृति आ गयी | लोग जहरी रासायनिक रंगों से
होली खेलने लगे, जिनका बड़ा दुष्प्रभाव होता है |
२] होली के बाद के
२० - २५ दिन नीम के २० - २५ कोमल पत्ते व १ - २ काली मिर्च खा लो या नीम के फूलों
का रस १ – २ काली मिर्च का चूर्ण डालकर पी लो | इससे शरीर में ठंडक रहेगी और गर्मी
झेलने की शक्ति आयेगी, पित्त-शमन होगा और व्यक्ति वर्षभर निरोग रहेगा |
३] होली के बाद १५
– २० दिनों तक बिना नमक का भोजन करें तो आपके स्वास्थ्य में चार चाँद लग जायें |
बिना नमक का नहीं कर सकते तो कम नमकवाला भोजन करो |
४] अपने सिर को
धूप से बचाना चाहिए | जो सिर पर धूप सहते हैं उनकी स्मरणशक्ति, नेत्रज्योति और
कानों की सुनने की शक्ति क्षीण होने लगती है | ४२ साल के बाद बुढापा शुरू होता है,
असंयमी और असावधानीवालों का दिमाग कमजोर हो जाता है | गर्मियों में नंगे सिर धूप
में घूमने से पित्त बढ़ जाता है, आँखें जलती हैं | अत: सिर को धूप से बचाओं, अपने
को दुःखों से बचाओ, मन को अहंकार से बचाओ और जीवात्मा को जन्म-मरण से बचा के परमात्मा
से प्रेम करना सिखा दो !
ऋषिप्रसाद
– फरवरी २०२० से
No comments:
Post a Comment