क्या है ‘ए – १’ व
‘ए – २’ दूध ?
गोदुग्ध में पाये
गये प्रोटीन में लगभग एक तिहाई ‘बीटा कैसीन’ नामक प्रोटीन है | बीटा कैसीन के १२
प्रकार ज्ञात हैं, जिनमें ‘ए -१’ और ‘ए – २’ प्रमुख हैं | जर्सी, होल्सटीन आदि
विदेशी तथाकथित गायों के दूध में ‘ए -१’ प्रोटीन होता है, जिसकी एमिनो एसिड
श्रृंखला में ६७ वें स्थान पर हिस्टिडीन होने के कारण इसकी पाचनक्रिया में
बीटा-केसोंमाँर्फीन – ७ (BCM-7) का निर्माण होता ही, जो विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य –
विकारो को निमंत्रण देता ही | ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंस एंड नेचर’ मी छपे एक शोध
के अनुसार ‘ए-१’ प्रोटीन से मानसिक रोग, टाईप – १ मधुमेह, ह्रदयरोग
आदि हो सकते हैं | परंतु भारतीय नस्ल की गायों के दूध में ‘ए – २’ प्रकार का
विषरहित प्रोटीन पाया जाता है, जो ऐसे किन्हीं रोगों को उत्पन्न नहीं करता | अत:
भारतीय नस्ल की गायों का ही दूध पीना हितकारी है |
कही आप धीमा जहर
तो नहीं पी रहे है !
कंज्यूमर गाइडेंस
सोसायटी ऑफ़ इंडिया के महाराष्ट्र में हुए हालिया अध्ययन में पाया गया कि बेचे जा
रहे ७८.१२% दूध FSSAI के आवश्यक गुणवत्ता
मानकों को पूरा नहीं करते हैं |
देश में अन्यत्र
भी दूध में मिलावटें होती हैं | शोधकर्ताओं के अनुसार दूध में अधिक मात्रा
में हाइड्रोजन परॉक्साइड व अमोनियम सल्फेट
की मिलावट ह्रदयरोग, पेट व आँतों में जलन, उलटी, दस्त जैसी समस्याएँ पैदा कर सकती
है | हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ करते हुए डिटर्जेंट, यूरिया, स्टार्च, शर्करा,
न्यूट्रलाइजर आदि अनेक पदार्थ मिला के कृत्रिम दूध तैयार कर बेचा जाता है डेयरियों
आदि के द्वारा, जिसे पीने से पेटदर्द, आँखों व त्वचा की जलन, कैंसर, शुक्राणुओं की
कमी आदि रोग होते हैं तथा यकृत व गुर्दों को हानि होती है | अत: सावधान !
अपनी
स्वास्थ्य-रक्षा हेतु देशी गाय का शुद्ध दूध ही पियें एवं विदेशी तथा संकरित पशुओं
के दूध एवं कृत्रिम दूध के सेवन से बचें और बचायें |
ऋषिप्रसाद
– फरवरी २०२० से
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