(होली – ९ मार्च २०२० , धुलेंडी – १० मार्च
२०२० )
पूनम और अमावस्या
को समुद्र में ज्वार – भाटा विशेष आता है, जल – तत्त्व उद्वेलित होता है तो हमारे
शरीर की सप्तधातुओं का जलीय अंश भी उद्वेलित होता है | सभी जल तथा जलीय पदार्थों
पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है | व्यक्ति इन दिनों संसार-व्यवहार करे तो उसकी
शक्तियों का ज्यादा ह्रास होगा | अगर गर्भधान हो गया तो संतान विकलांग पैदा होती
ही है |
इन दिनों में जैसे सम्भोग का कुप्रभाव ज्यादा पड़ता है ऐसे ही ध्यान, जप,
तीर्थ-सेवन और महापुरुषों के सत्संग – सान्निध्य से सुप्रभाव भी ज्यादा पड़ता है |
होली की रात्रि का जागरण और जप बहुत फलदायी होता है | एक जप हजार गुना फलदायी है |
मंत्रशक्ति
तमोगुणी, रजोगुणी, सत्त्वगुणी और गुणातीत व्यक्ति के लिए भी हितकारी है | मंत्रजप
से दैवी तत्त्व जागृत होता है, जन्म-जन्मांतरो के कुसंस्कार नष्ट होते हैं |
श्रद्धा, तत्परता, संयम और एकाग्रता से ध्यान व जप कई जन्मों के कुसंस्कारों का
नाश तथा कई गोहत्या के एवं अन्य अनगिनत पापों का शमन करके ह्रदय में शांति व आनंद
ले आते हैं |
ऋषिप्रसाद
– फरवरी २०२० से
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