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Tuesday, June 16, 2020

बीमारी को भगाओ, उससे दबो नहीं


जिसको सत्संग नहीं मिला है वे बीमार होते हैं तो बड़े दु:खी होते है, ‘मैं बीमार हो गया..... मैं बीमार हो गया.... |’ लेकिन सत्संगी समझते हैं, ‘मैं बीमार नहीं हूँ, शरीर बीमार है | मैं बीमारी को जानता हूँ | यह निगुरी आयी है, इसको भगाऊँगा लेकिन में बीमार हूँ ऐसा सोचकर इससे दबूँगा नहीं | हरि ॐ... ॐ....ॐ....| बीमारी शरीर को आयी है और दुःख मन में आया है | मन में दुःख आया, उसको भी मैं जानता हूँ और शरीर में बीमारी आयी, उसको भी में जानता हूँ | चित्त में चिंता आयी, उसको भी मैं जानता हूँ | हम हैं अपने-आप, इन सभीके बाप !’

बीमारी में चिंतन करें कि ‘मैं बीमार नही हूँ, यह शरीर का तप हो रहा है....मेरे कर्म कट रहे हैं ....|’ इस भावना से बीमारी के कष्ट को सहते हुए उसे निवृत्त करने का यत्न करें | इससे कर्म भी कटेंगे, तपस्या भी होगी और आरोग्यता भी प्राप्त हो जायेगी | आपका मन जैसा दृढ़ संकल्प करता है उसी प्रकार की आपको मदद मिलती है |

ऋषिप्रसाद – जून २०२० से

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