भगवान की कृपा से जिनके जीवन में ऐसा भाग्योदय हुआ है कि ब्रह्मवेत्ता
श्रीगुरु मिले हैं अथवा किन्हीं ब्रह्मवेत्ता संत में श्रद्धा हुई हैं, वे सर्वात:करण
से श्रीगुरु की शरण लें, उनके बालक बनकर अनन्य भाव से उनकी सेवा करें इससे धन्य हो
जायेंगे, कृतकृत्य हो जायेंगे |
तीन काम बड़े महत्त्व के हैं :
१] प्राणिमात्र पर दया करके उनके दुःखों को दूर
करना |
२] निर्बलों और असहायों की सहायता करना और
३] शत्रु को भी दुःख तथा निंदा से
बचाना |
ऋषिप्रसाद – जून २०२० से
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