कफ, पित्त और वात – ये त्रिदोष समस्त शरीर को धारण करते हैं | शरीर की सभी
क्रियाएँ वात के कारण, रूपांतरण पित्त के कारण व गठन कफ के
कारण होता है | जब ये अपने स्वाभाविक रूप में ( अर्थात सम अवस्था में – न घटे हुए न बढ़े हुए ) होते
हैं तब शरीर की वृद्धि, बल, वर्ण,
प्रसन्नता उत्पन्न करते हैं परंतु जब इनमें से कोई विकृत ( विषम) होता है तब शेष
दोषों, रस – रक्तादि सप्तधातुओं को दूषित कर रोगों को उत्पन्न
करता है | अत: जो खाद्य पदार्थ इन त्रिदोषों का शमन करते हैं उनका सेवन स्वास्थ्य
के लिए विशेष हितकारी है |
त्रिदोषशामक पदार्थ
१] सब्जियाँ : बथुआ,
परवल, कोमल मूली, पका पेठा, जीवंती, शलजम |
२] फल : आँवला, मीठा अनार |
३] अन्य पदार्थ :
पुराने गेंहूँ, सेंधा नमक, पुराना
देशी गुड़, घृतकुमारी, धनिया, हल्दी,
गुलाब, गिलोय, वर्षा का जल, हरड, शंखपुष्पी आदि |
ऋषिप्रसाद
– नवम्बर २०२० से
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