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Tuesday, November 10, 2020

ध्यान का अभ्यास कब करें ?

 

तं पूर्वापररात्रेषु युत्र्जान: सततं बुध: |

लघ्वाहारो विशुद्धात्मा पश्यत्यात्मानमात्मनि ||

‘जो विद्वान परिमित आहार करके रात के पहले और अंतिम प्रहर में सदा ध्यानयोग का अब्यास करता है, वह अंत:करण शुद्ध होने प्रे अपने ह्रदय में ही आत्मा का साक्षात्कार कर लेता है |’ (महाभारत शांति पर्व : १८७.२९)


ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२० से

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