२२ नवम्बर :
गोपाष्टमी ( प्रात: गायों को स्नान कराने, उनका पूजन, उन्हें गोग्रास-अर्पण व परिक्रमा करने तथा थोड़ी दूर तक उनके साथ चलने और
अपने ललाट पर गोधूलि का तिलक करने से अभीष्ट सिद्धि व सौभाग्य – वृद्धि होती है |)
२३ नवम्बर :
ब्रह्मलीन भगवत्पाद साँई श्री लीलाशाहजी महाराज का महानिर्वाण दिवस, अक्षय-आँवला नवमी ( ध्यान, जप आदि पुण्यकर्म अक्षय
फलदायी )
२६ नवम्बर : देवउठी –
प्रबोधिनी एकादशी ( इस दिन का जप, होम, दान -सब अक्षय होता है | गुरु-पूजन से भगवान् प्रसन्न होते हैं व भगवान्
विष्णु की कपूर से आरती करने कर अकाल मृत्यु नहीं होती | )
२८ नवम्बर : कार्तिक
शुक्ल त्रयोदशी इसी दिन से कार्तिक पूर्णिमा ( ३० नवम्बर ) तक प्रात: पुण्यस्नान
पुरे कार्तिक मास के पुण्यस्नान के बराबर फलदायी है तथा इन दिनों में ‘श्रीमदभगवदगीता’
और ‘श्रीविष्णुसहस्त्रनाम’ का पाठ विशेष लाभदायी है |
११ दिसम्बर :
त्रिस्पृशा-उत्पत्ति एकादशी ( इस दिन उपवास से १००० एकादशी व्रतों का फल )
१४ दिसम्बर : सोमवती
अमवस्या ( सूर्योदय से रात्रि ९:४७ तक) ( तुलसी की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता
नाश)
१५ दिसम्बर : षडशिति
संक्रांति ( पुण्यकाल : दोपहर १२:३३ से सूर्यास्त) ( ध्यान, जप व पुण्यकर्म का ८६,००० गुना फल )
२० दिसम्बर :
रविवारी सप्तमी ( दोपहर २:५४ से २१ दिसम्बर सूर्योदय तक )
ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०२०
से
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