कभी-कभी मन में जप करें..बस में ...कार में कहीं जा रहे हो... मन से जप करें और मन से ही गिनती करें | नहीं तो कई बार हम बोलते है कि मेरा तो मन में जप चल रहा है पर फिर मनोराज भी होता है... मन ईधर – उधर भी चला जाता है...इसलिए मन से जप करें तो मन से गिनती भी करें ...ऊगलियों पर नहीं..मन से जप और मन से गिनती से भी मन जप में लग जाता है | दूसरा उपाय है कि एक बार मंत्र होठों से बोले दूसरी बार मन से बोले | इससे भी मन स्थिर हो जाता है |
- श्री सुरेशानंदजी Chittorgarh 29th Jan' 2012
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