अमृत के समान लाभकारी होने शास्त्रों में आँवला ‘अमृतफल’ कहा गया है | यह
मनुष्य का धात्री ( माँ ) की तरह पोषण करता है, अत: इसे ‘धात्रीफल’ भी कहा जाता है
|
आँवला युवावस्था को दीर्घकाल तक बनाये रखनेवाला, शरीर को पुष्ट करनेवाला, बल,
वीर्य, स्मृति, बुद्धि व कान्ति वर्धक, भूख बढ़ानेवाला, शीतल, बालों के लिए हितकारी
तथा ह्रदय व यकृत (लीवर) हेतु लाभप्रद है | यह कब्ज, दाह, मूत्र संबंधी तकलीफों,
थकावट, खून की कमी, पित्तजन्य सिरदर्द, पीलिया, उलटी आदि रोगों में लाभदायी है |
चर्मविकारों में आँवला खायें तथा आँवला रस में थोडा पानी मिला के पूरे शरीर को
रगड़ दें, फिर स्नान करें तो लाभ होता है | आँवला चूर्ण का उबटन लगाने से शरीर
कांतिमय बनता है, पानी में रस मिलाकर बाल धोने से बाल काले व मजबूत बनते हैं |
आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ‘सी’ एवं एंटी
ऑक्सीडेंट पाये जाते हैं, जिससे यह ह्रदय से संबंधित रक्तवाहिनियों के रोग (Coronary Artery Disease) उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कैंसर आदि रोगों में
लाभप्रद है एवं इसके नियमित सेवन से इन रोगों से रक्षा होती है |
आँवले के अनुभूत घरेलू प्रयोग
१] सूखा आँवला और काले तिल समभाग लेकर बारीक चूर्ण बना लें | ५ ग्राम चूर्ण घी
या शहद के साथ प्रतिदिन चाटने से वृद्धावस्थाजन्य कमजोरी दूर होकर नवशक्ति प्राप्त
होती है |
२] ३० मि.ली. आँवले का रस पानी में मिला के भोजन के साथ सेवन करने से
पाचनक्रिया तेज होती है | इससे ह्रदय व मस्तिष्क को बल व शक्ति मिलती है तथा
स्वास्थ्य सुधरता है |
३] १५ – १५ मि.ली. शहद व आँवला रस, २० मि.ली. घी व १५ ग्राम मिश्री मिलाकर
प्रात: सेवन करें | इससे वृद्धावस्थाजन्य कमजोरी व मूत्रसंबंधी तकलीफें दूर होती
हैं एवं शरीर में ऊर्जा का संचार होता है |
स्त्रोत – ऋषि प्रसाद – जनवरी – २०१७ से