अपने बच्चे – बच्चियाँ वहाँ की गंदगी से बचें इसलिए ‘दिव्य प्रेरणा – प्रकाश’
पुस्तक बार – बार पढ़ें | रात्रि को सोने से पूर्व २१ बार ‘ॐ अर्यमायै नम:’ मंत्र
का जप करना तथा तकिये पर अपनी माँ का नाम (केवल ऊँगली से ) लिखकर सोना, सुबह स्नान
के बाद ललाट पर तिलक करना और पढाई के दिनों में एवं अवसाद (डिप्रेशन) के समय
प्राणायाम करने चाहिए |
सर्वांगासन करके गुदाद्वार का जितनी देर सम्भव हो संकोचन
करें और ‘वीर्य ऊपर की ओर आ रहा है ....’ ऐसा चिंतन करें | देर रात को न खायें,
कॉफ़ी-चाय के आदि के व्यसन में न पड़ें और सादा जीवन जियें, जिससे अपनी जीवनीशक्ति
की रक्षा हो |
सुबह थोड़ी देर भगवत्प्रार्थना – स्मरण करते हुए शांत हो जाओ |
बुद्धि में सत्त्व बढ़ेगा तो बुद्धि निर्मल होगी, गड़बड़ से मन को बचायेगी और मन
इन्द्रियों को नियंत्रित रखेगा |
स्त्रोत – ऋषि प्रसाद – जनवरी – २०१७ से
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