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Thursday, January 5, 2017

गुरुकृपा निरंतर चाहते हो तो ....

गुरुकृपा अथवा भगवत्कृपा का निरंतर अनुभव करना चाहते हो तो सत्संग मिलने पर मिथ्या आग्रह, दुराग्रह न करो, स्वच्छंद (मनमुखी) होकर कर्म न करो, प्रमाद में शक्ति तथा आलस्य में समय नष्ट न करो और विषयासक्ति का त्याग करो | 

शारीरिक, मानसिक और आत्मिक उन्नति के लिए वासना – विकारों का त्याग अत्यावश्यक है |



स्त्रोत – ऋषि प्रसाद – जनवरी – २०१७ से 

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