दायें
पैर के तलवे की बायीं हथेली से और बायें पैर के तलवे की दाहिनी हथेली से रोज
(प्रत्येक तलवे की ) २ - ४ मिनट सरसों के तेल या घी से मालिश करें | यह प्रयोग न
केवल कई रोगों से बचा सकेगा बल्कि अनेक साध्य-असाध्य रोगों में भी लाभ करेगा |
हथेलियो
व तलवों में शरीर के विभिन्न अंगों से संबंधित प्रतिबिम्ब केंद्र पाये जाते हैं |
अपनी ही हथेली से आपने तलवों की मालिश करने से इन पर दबाव पड़ता है, जिससे शरीर के
सभी अवयवों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है |
कब
करें : प्रात: खाली पेट व्यायाम के बाद, शाम के भोजन से पूर्व या दो घंटे बाद,
सोने से पहले- अनुकूलता-अनुसार दिन में एक बार करें |
लाभ :
इस क्रिया के निरंतर अभ्यास से –
१]
शरीर के विभिन्न अवयवों की कार्यक्षमता बढती है तथा हानिकारक द्रव्यों का ठीक से
निष्कासन होने लगता है |
२]
रक्त-संचालन की गडबडीयॉ दूर होती हैं |
३]
अंत:स्रावी ग्रन्थियों की कार्यप्रणाली में सुधार होने से कई रोगों का शमन होता है
|
४]
स्नायुतंत्र के विकार दूर होते हैं |
५]
नेत्रज्योति बढती है |
६]
तलवों का खुरदरापन, रूखापन, सूजन आदि दूर होकर उनमें कोमलता व बल आता है |
यदि
स्वस्थ व्यक्ति भी यह क्रिया सप्ताह में २ – ३ बार रात्रि में सोते समय करें तो
उसका स्वास्थ्य बना रहेगा |
ऋषिप्रसाद – जनवरी २०१९
से
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