क्या
करें
१] हरड
चूर्ण घी में भूनकर नियमितरुप से लेने तथा भोजन में घी का उपयोग करने से शरीर
बलवान होकर दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है |
२]
सर्दियों में प्रतिदिन सुबह खाली पेट १५ से २५ ग्राम काले तिल चबाकर खाने व ऊपर से
पानी पीने से शरीर पुष्ट होता है व दाँत मृत्युपर्यन्त दृढ़ रहते हैनं |
३]
सूर्यकिरणें सर्वरोगनाशक व स्वास्थ्यप्रदायक हैं | रोज सुबह सिर को ढककर ८ मिनट
सूर्य की ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठे |
४]
शीतकाल में व्यायाम व योगासन विशेष जरूरी हैं | इन दिनों जठराग्नि बहुत प्रबल रहने
से समय पर पाचन-क्षमता अनुरूप उचित मात्रा में आहार लें अन्यथा शरीर को हानि होगी
|
क्या न
करें
१] अति
श्रम करनेवाले, दुर्बल, उष्ण प्रकृतिवाले एवं गर्भिणी को तथा रक्त व पित्त दोष में
हरड का सेवन नहीं करना चाहिए |
२] तिल
और दूध का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए और रात्रि को तिल व तिल के तेल से बनी
वस्तुएँ खाना वर्जित है |
३]
सूर्यकिरणों में अधिक समय तक सिर को ढके बिना रहना व तेज धुप में बैठना स्वास्थ्य
के लिए हानिकारक है |
४] दिन
में सोना, देर रात तक जागना, अति ठंड सहन करना, अति उपवास आदि शीत ऋतू में वर्जित
है | बहुत ठंडे जल से स्नान नहीं करना चाहिए |
ऋषिप्रसाद – जनवरी २०१९६ से
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