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Friday, January 18, 2019

शीत ऋतू के अपने आहार –विहार


क्या करें
१] हरड चूर्ण घी में भूनकर नियमितरुप से लेने तथा भोजन में घी का उपयोग करने से शरीर बलवान होकर दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है |
२] सर्दियों में प्रतिदिन सुबह खाली पेट १५ से २५ ग्राम काले तिल चबाकर खाने व ऊपर से पानी पीने से शरीर पुष्ट होता है व दाँत मृत्युपर्यन्त दृढ़ रहते हैनं |
३] सूर्यकिरणें सर्वरोगनाशक व स्वास्थ्यप्रदायक हैं | रोज सुबह सिर को ढककर ८ मिनट सूर्य की ओर मुख व १० मिनट पीठ करके बैठे |
४] शीतकाल में व्यायाम व योगासन विशेष जरूरी हैं | इन दिनों जठराग्नि बहुत प्रबल रहने से समय पर पाचन-क्षमता अनुरूप उचित मात्रा में आहार लें अन्यथा शरीर को हानि होगी |

क्या न करें
१] अति श्रम करनेवाले, दुर्बल, उष्ण प्रकृतिवाले एवं गर्भिणी को तथा रक्त व पित्त दोष में हरड का सेवन नहीं करना चाहिए |
२] तिल और दूध का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए और रात्रि को तिल व तिल के तेल से बनी वस्तुएँ खाना वर्जित है |
३] सूर्यकिरणों में अधिक समय तक सिर को ढके बिना रहना व तेज धुप में बैठना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |
४] दिन में सोना, देर रात तक जागना, अति ठंड सहन करना, अति उपवास आदि शीत ऋतू में वर्जित है | बहुत ठंडे जल से स्नान नहीं करना चाहिए |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०१९६ से


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