त्रिवेणी
त्रिदोष से मुक्त कर देती है | तीन अवस्थाओं – जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति में जो
बंधन और आकर्षण है उससे भी मुक्त कर देती है, त्रिवेणी का स्नान ऐसा है | एक मास
इन्द्रिय –संयमपूर्वक प्रयाग-स्नान सभी पापों से मुक्ति देता है और फिर वह माघ में
हो तो और विशेष फलदायी है |
किसी
कारण से एक मास नहीं भी कर सके, वार्धक्य है, ठंडी नहीं सह सकते तो त्रयोदशी से
माघी पूर्णिमा तक ३ दिन स्नान कर लें तब भी चित्त शुद्ध, पवित्र हो जाता है और
पवित्र, शुद्ध चित्त की पहचान है कि ह्रदय में निर्विकारी नारायण का आनंद आने लगे
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ऋषिप्रसाद – जनवरी २०१९
से
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