प्राय: साग-सब्जियों और फलों का उपयोग करते समय उनके
छिलकों को बेकार समझकर फेंक दिया जाता है लेकिन छिलकों में कई चमत्कारिक गुण छिपे
होते हैं | इन्हें कई रोगों को दूर करने के साथ-साथ सौंदर्य को निखारने में व अन्य
प्रकार से उपयोग में लिया जा सकता है |
१] नीबू के छिलके : इनमें मौजूद अम्ल त्वचा की सफाई करता
है व चमक और कोमलता को बढ़ाने में मदद करता है | इन्हें दाँतों पर मलने से दाँत
चमकदार होते हैं और मसूड़े मजबूत बनते हैं | नींबू छिलकेसहित खाने पर कैंसर नहीं
होता |
२] संतरे के छिलके : इनको सुखाकर खूब महीन चूर्ण बना लें |
इसे दाँतों पर घिसने से दाँत चमकदार बनते हैं | यह चूर्ण कच्चे दूध व हल्दी में
मिलाकर चेहरे पर लगाने से मुँहासों व धब्बों का नाश होता है और त्वचा चमक उठती है
| संतरे के छिलकों में रेशे होने के कारण ये कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं |
३] अनार के छिलके : अनार के सूखे छिलके बारीक पीस के रख
लें | अधिक मासिक स्राव ने एक चम्मच चूर्ण पानी के साथ लेने से रक्तस्त्राव कम
होगा | इसमें दही मिला के गाढ़ा अवलेह (paste)
बनाकर सिर पर मलने से बाल मुलायम होते हैं व रुसी से भी छुटकारा मिलता है | अनार
का छिलका मुँह में डालकर चूसने से खाँसी में लाभ होता है | इसका चूर्ण नागकेसर के
साथ लेने से बवासीर का रक्तस्त्राव बंद होता है |
४] पपीते के छिलके : इन्हें छाया में सुखा के महीन चूर्ण
बना लें | इसे ग्लिसरीन में मिला के चेहरे पर लगाने से त्वचा की रुक्षता दूर होती
है |
५] खीरे के छिलके : इनमें पाये जानेवाले अघुलनशील रेशे
पाचनतंत्र के लिए अच्छे होते हैं तथा कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं
| छिलकों को सुखाकर बनाये गये चूर्ण में नींबू की कुछ बूँदे मिला के अवलेह बना लें
| इसे एलोवेरा जेल के साथ मिला के त्वचा पर लगायें | इससे त्वचा में निखार आता है
| (एलोवेरा जेल सत्साहित्य सेवाकेन्द्रों एवं संत श्री आशारामजी आश्रम की समितियों
के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध हैं |)
६] आलू के छिलके : जलने पर आलू का छिलका लगाने से शीघ्र
राहत मिलती है | आँखों के नीचे का कालापन हटाने हेतु ककड़ी की फाँक और आलू के
छिलकों को बारी-बारी से कालिमावाले स्थान पर रगड़ें |
- शरीर का कोई अंग जल जाय तो जले हुए स्थान पर तुरंत कच्चे
आलू का रस लगाना व उसके पतले टुकड़े (कटे चिप्स) रखना पर्याप्त है | इससे न फोड़ा
होगा, न मवाद बनेगा, न ही मलहम या अन्य औषधियों की आवश्यकता होगी |
८] सेब के छिलके : इन छिलकों व इनके ठीक नीचेवाले गूदे में
विटामिन ‘सी’ प्रचुर होता है | छिलकेयुक्त सेब को चबा-चबाकर खानेवाले को मसूड़ों से
खून निकलने की बीमारी कभी नहीं होती | सेब के छिलके में विटामिन ‘ए’ गूदे की
अपेक्षा ५ गुना अधिक होता है | अत: सेब का पूरा – पूरा लाभ उठाने के लिए चाकू आदि
से उसके छिलके पर की जानेवाली मोम की पर्त उतारकर उसे छिलकेसहित खूब
चबा-चबा के खायें |
लोककल्याणसेतु – जनवरी २०१९ से
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