सुर्यापासना का शास्त्रों में विस्तृत वर्णन है | ऋग्वेद (मंडल १, सूक्त
११५, मंत्र १) में आता है :
सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च |
सारे जगत का आत्मा सूर्य है | सूर्य की उपासना करनेवाले को दुःख, दरिद्रता,
गरीबी, दीनता-हीनता छू नहीं सकते | शीघ्र ही बुद्धि का विकास, रोग-दोष का शमन यह
साफल्य प्राप्त होता है |
रोज प्रात:काल में सूर्योदय से पहले स्नानादि करके खुले मैदान में अथवा घर की
छत पर जहाँ सूर्य का प्रकाश ठीक से आता हो वहाँ नाभि का भाग खुला करके सूर्यदेव के
सामने खड़े होकर (अथवा आसन आदि पर बैठ के ) उन्हें प्रणाम करो और आँखे बंद करके
चिंतन करो कि ‘जो सूर्य का आत्मा है वही मेरा आत्मा है | तत्त्वरूप से दोनों की
शक्ति समान है |’ फिर आँखें खोलकर नाभि पर सूर्य के नीलवर्ण का आवाहन करो और ये
मंत्र बोलो :
ॐ सूर्याय नम: | ॐ मित्राय नम: | ॐ रवये नम: | ॐ भानवे नम: | ॐ खगाय नम: | ॐ
पूष्णे नम: | ॐ हिरण्यगर्भाय नम: | ॐ मरीचये नम: | ॐ आदित्याय नम: | ॐ सवित्रे नम:
| ॐ अर्काय नम: | ॐ भास्कराय नम: | ॐ श्रीसवितृसुर्यनारायणाय नम: |
सूर्य – पूजा के लाभ
सूर्योपासना से स्मरणशक्ति, निर्णयशक्ति व पाचनशक्ति विकसित होती हैं | सर्दी,
खाँसी, दमा जैसे रोग वायु और कफ के कारण हों तो दूर होते हैं | शीत प्रक्रुतिवालों
को सदैव सूर्य-पूजा करनी चाहिए |
मासिक स्त्राव के दिनों में तथा सगर्भावस्था में
महिलाएँ सूर्य-पूजा न करें | गर्मियों में ८ बजे तक और अन्य ऋतुओ में ९ बजे तक
पूजा कर लेनी चाहिए | वर्षा ऋतू में जब सूर्य निकले तब सूर्य-पूजा कर सकते हैं |”
सूर्य –अर्घ्य की विधि व उसके लाभ
सूर्य बुद्धिशक्ति के स्वामी हैं | सूर्य को मंत्रोच्चारण के साथ अर्घ्य देने
से बुद्धि तीव्र बनती है तथा परावर्तित सूर्यकिरणें, हमारी श्रद्धा, मंत्र के
सामर्थ्य और सूर्यदेव की कृपा – इन सबका लाभ भी मिलता है | भगवान् सूर्य प्रसन्न
होकर आयु, आरोग्य, धन-धान्य, तेज वीर्य, यश-कीर्ति आदि प्रदान करते हैं |
सूर्य को नहा-धोकर अर्घ्य देना चाहिए | सूर्योदय के समय ताँबे के पात्र में जल
लेकर उसमें यथासम्भव लाल फूल, लाल चंदन, चावल, कुमकुम आदि डाल के सूर्यनारायण को
अर्घ्य दे | जहाँ अर्घ्य का जल गिरे वहाँ की गीली मिट्टी का तिलक करे | फिर आँखें
बंद करके मन-ही-मन सूर्यनारायण को देखे और गुरुमंत्र अथवा तो बीजसंयुक्त
सुर्यमंत्र – ‘ॐ ह्रां ह्रीं स: सूर्याय नम: |’ का जप करे तो बुद्धि सात्त्विक,
विकसित होती है और निर्भीकता का लाभ होता है |
ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२० से
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