अंजीर : अंजीर एक पौष्टिक फल है | यह तृप्तिकर, वजन बढाने में लाभदायी, पचने
में भारी, वात-पित्तशामक, जलन कम करनेवाला तथा रक्तवर्धक है |
v २ सूखे अंजीर पानी में रात को भिगोकर सुबह तथा सुबह भिगो के
शाम को खाने से पुरानी खाँसी, दमा, टी.बी., रक्तपित्त, पुराना गठिया, बवासीर व
पित्तजन्य त्वचा-विकारों में लाभ होता है |
प्रतिदिन २ से ४ अंजीर खाये जा सकते हैं | ज्यादा मात्रा
में खाने पर सर्दी, कफ एवं मंदाग्नि हो सकती है | सूखे अंजीरों को सेवन से पूर्व
१-२ घंटे पानी में भिगो के रखना चाहिए |
मूँगफली : भिगोयी हुई मूँगफली पचने में आसान होती है | इसके
सेवन से स्मरणशक्ति का विकास होता है | यह आमाशय, फेफड़ों तथा हड्डियों को मजबूती
प्रदान करती है |
v रात हो भिगोयी हुई
मूँगफली को सुबह थोड़े गुड़ के साथ खूब चबाकर सेवन करें |
भोजन के बाद अथवा साथ में मूँगफली नहीं खानी चाहिए | भोजन
और मूँगफली खाने के बीच ३ - ४ घंटे का अंतर होना चाहिए तभी मूँगफली पौष्टिक सिद्ध
होती है |
खड़े मूँग : ये कफ-पित्तशामक थोड़े वायुकारक तथा नेत्रों के
लिए हितकर व ज्वरनाशक होते हैं | अन्य दालों की अपेक्षा मूँग की दाल अधिक सुपाच्य
होती है | इसमें प्रोटीन, रेशे और विटामिन बी आदि तत्त्व पर्याप्त मात्रा में
पायें जाते हैं | इसका नियमित सेवन उच्च रक्तचाप व कब्ज के मरीजों के लिए बहुत
फायदेमंद है | मूँग का उपयोग करने से पहले कुछ घंटे भिगोकर रखना लाभकारी है |
गेहूँ : एक मुट्ठी गेहूँ एक गिलास पानी में रात को भिगो दें
| सुबह उन्हें पीसकर उबलते हुए पानी में डाल के उसमें मिश्री, इलायची, १-२ काली
मिर्च मिलायें तथा कलछी से सतत चलाते हुए पकायें | फिर उसमें दूध डाल के सेवन करें
|
कुछ दिनों तक यह प्रयोग करने से स्वप्नदोष, वीर्यपात, पेशाब में जलन, बार-बार
पेशाब आना आदि में लाभ होता है तथा शरीर की अत्यधिक उष्णता भी कम होती है |
ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२० से
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