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Monday, January 13, 2020

क्या करें ....क्यां न करें


क्या करें
१] भोजन पचने में हलका व कम मात्रा में लें | जौ की रोटी या दलिया, ज्वार, कुलथी, सहजन, मेथी, करेला, पुनर्नवा, परवल, बथुआ, सोआ, कोमल बैंगन, लहसुन, अदरक, सोंठ, हींग, अजवायन, अरंडी का तेल आदि का सेवन हितकर है | गोमूत्र अथवा पानी मिलाकर गोमूत्र अर्क लेना लाभदायी है | पीने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें |
२] १०० मि.ली, पानी में २ ग्राम सोंठ मिलाकर उसे इतना उबालें कि पानी केवल आधा शेष रहे | फिर इसे छानकर १५ से ३० मि.ली. अरंडी का तेल मिला के सूर्योदय के बाद पियें | यह प्रयोग हफ्ते में २-३ बार करें |
३] गठिया में उपवास अत्यंत हितकर है | सप्ताह में अथवा १५ दिन में एक दिन उपवास रखें | उस दिन केवल गुनगुना पानी पियें |
४] प्रतिदिन प्राणायाम करें |
५] स्पेशल मालिश तेल को गुनगुना करके उससे प्रभावित अंगों की मालिश करें | उसके बाद उन्हें १५-२० मिनट धूप से सेंक लें | फिर कम्बल से ढककर १५-२० मिनट धूप से सेंकें |
६] एक चुटकी रामबाण बूटी पानी से लें | अगर ज्यादा गर्मी है तो कम लें |

क्यां न करें
१] दही, छाछ, गुड़, तले हुए व उड़द से बने पदार्थ, अचार, पापड़, पनीर, फल, मिठाई, चावल, सुखा मेवा, आलू , मटर, टमाटर, नींबू, चना, राजमा, चौलाई, सेम, ग्वारफली, अरवी, टिंडा, मक्का, चिकने व भारी पदार्थ,  मैदे व दूध से बने पदार्थ एवं चाय-कॉफ़ी का सेवन न करें |
२] विरुद्ध आहार जैसे – नमक, खट्टे पदार्थ, फल, दालें, शाक, अदरक, लहसुन, तुलसी आदि का दूध के साथ सेवन न करें |
३] पूर्व में लिये हुए अन्न का पाचन होकर शरीर में हलकापन आने व खुल के भूख लगने से पहले फिर से अन्न ग्रहण न करें |
४] दिन में सोना, अनुचित समय पर भोजन, रात्रि-जागरण, खुली हवा में घूमना, फ्रिज का ठंडा पानी पीना, सतत पानी में काम करना, दलदलवाले स्थान पर तथा नमीयुक्त वातावरण में दीर्घकाल तक रहना व चिंता करना – इन कारणों से गठिया रोग उत्पन्न होता है | अत: इनसे बचें |
५] निवाड़ या रस्सी से बुने हुए खाट या पलंग पर न सोये |
६] लगातार बैठे रहना, गद्दों पर तथा ए. सी. , पंखा या कूलर की हवा में सोना, आरामप्रियता आदि का त्याग कर दें |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२० से

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