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Monday, January 13, 2020

अद्भुत प्रभाव-सम्पन्न संतान की प्राप्ति करानेवाला व्रत : पयोव्रत


(पयोव्रत : २४ फरवरी से ६ मार्च )
अद्भुत प्रभाव-सम्पन्न संतान की प्राप्ति की इच्छा रखनेवाले स्त्री-पुरुषों के लिए शास्त्रों में पयोव्रत करने का विधान है | यह भगवान को संतुष्ट करनेवाला है इसलिए इसका नाम ‘सर्वयज्ञ’ और ‘सर्वव्रत’ भी है | यह फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में किया जाता है | इसमें केवल दूध पीकर रहना होता है |

व्रतधारी व्रत के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें, धरती पर दरी या कम्बल बिछाकर शयन करे अथवा गद्दा-तकिया हटा के सादे पलंग पर शयन करे और तीनों समय स्नान करे | झूठ न बोले एवं भोगों का त्याग कर दे | किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुँचाये | सत्संग-श्रवण, भजन-कीर्तन, स्तुति-पाठ तथा अधिक-से-अधिक गुरुमंत्र या भगवन्नाम का जप करे | भक्तिभाव से सद्गुरुदेव को सर्वव्यापक परमात्मस्वरूप जानकर उनकी पूजा करे और स्तुति करे : ‘प्रभो! आप सर्वशक्तिमान हैं | समस्त प्राणी आपमें और आप समस्त प्राणियों में निवास करते हैं | आप अव्यक्त और परम सूक्ष्म हैं | आप सबके साक्षी हैं | आपको मेरा नमस्कार है |’

व्रत के एक दिन पूर्व (२३ फरवरी) से समाप्ति (६ मार्च) तक करने योग्य :

१] द्वादशाक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |) से भगवान या सद्गुरु का पूजन करें तथा इस मंत्र की एक माला जपें |

२] यदि सामर्थ्य हो तो दूध में पकाये हुए तथा घी और गुड़ मिले हुए चावल का नैवेद्य अर्पण करें और उसीका देशी गौ-गोबर के कंडे जलाकर द्वादशाक्षर मंत्र से हवन करें | (नैवेद्य हेतु दूध के साथ गुड का अल्प मात्रा में उपयोग करें |) नैवेद्य को भक्तों में थोड़ा –थोड़ा बाँट दें |

३] सम्भव हो तो दो निर्व्यसनी, सात्त्विक ब्राह्मणों को खीर का भोजन करायें |

४] अमावस्या के दिन (२३ फरवरी को ) खीर का भोजन करें |

५] २४ फरवरी को निम्नलिखित संकल्प करें तथा ६ मार्च तक केवल दूध पीकर रहें |

संकल्प :
मम सकलगुणगणवरिष्ठमहत्त्व-सम्पन्नायुष्मत्पुत्रप्राप्तिकामनया
विष्णुप्रीतये पयोव्रतमहं करिष्ये |  

व्रत-समाप्ति के अगले दिन (७ मार्च को ) सात्त्विक ब्राह्मण को तथा अतिथियों को अपने सामर्थ्य-अनुसार शुद्ध, सात्त्विक भोजन करना चाहिए | दीन, अंधे और असमर्थ लोगों को भी अन्न आदि से संतुष्ट करना चाहिए | जब सब लोग खा चुके हों तब उन सबके सत्कार को भगवान की प्रसन्नता का साधन समझते हुए अपने भाई-बंधुओं के साथ स्वयं भोजन करें |

इस प्रकार विधिपूर्वक यह व्रत करने से भगवान प्रसन्न होकर व्रत करनेवाले की अभिलाषा पूर्ण करते हैं |

टिप – ब्राह्मण-भोजन के लिए बिना गुड़-मिश्रित खीर बनायें एवं एकादशी (६ मार्च) के दिन खीर चावल की न बनायें अपितु मोरधन, सिंघाड़े का आटा, राजगिरा आदि उपवास में खायी जानेवाली चीजें डालकर बनायें |

ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२० से

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