(पयोव्रत : २४ फरवरी से ६ मार्च )
अद्भुत प्रभाव-सम्पन्न संतान की प्राप्ति की इच्छा रखनेवाले स्त्री-पुरुषों के
लिए शास्त्रों में पयोव्रत करने का विधान है | यह भगवान को संतुष्ट करनेवाला है
इसलिए इसका नाम ‘सर्वयज्ञ’ और ‘सर्वव्रत’ भी है | यह फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष
में किया जाता है | इसमें केवल दूध पीकर रहना होता है |
व्रतधारी व्रत के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें, धरती पर दरी या कम्बल
बिछाकर शयन करे अथवा गद्दा-तकिया हटा के सादे पलंग पर शयन करे और तीनों समय स्नान
करे | झूठ न बोले एवं भोगों का त्याग कर दे | किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुँचाये |
सत्संग-श्रवण, भजन-कीर्तन, स्तुति-पाठ तथा अधिक-से-अधिक गुरुमंत्र या भगवन्नाम का
जप करे | भक्तिभाव से सद्गुरुदेव को सर्वव्यापक परमात्मस्वरूप जानकर उनकी पूजा करे
और स्तुति करे : ‘प्रभो! आप सर्वशक्तिमान हैं | समस्त प्राणी आपमें और आप समस्त
प्राणियों में निवास करते हैं | आप अव्यक्त और परम सूक्ष्म हैं | आप सबके साक्षी
हैं | आपको मेरा नमस्कार है |’
व्रत के एक दिन पूर्व (२३ फरवरी) से समाप्ति (६ मार्च) तक करने योग्य :
१] द्वादशाक्षर मंत्र (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |) से भगवान या सद्गुरु का पूजन करें
तथा इस मंत्र की एक माला जपें |
२] यदि सामर्थ्य हो तो दूध में पकाये हुए तथा घी और
गुड़ मिले हुए चावल का नैवेद्य अर्पण करें और उसीका देशी गौ-गोबर के कंडे जलाकर
द्वादशाक्षर मंत्र से हवन करें | (नैवेद्य हेतु दूध के साथ गुड का अल्प मात्रा में
उपयोग करें |) नैवेद्य को भक्तों में थोड़ा –थोड़ा बाँट दें |
३] सम्भव हो तो दो निर्व्यसनी, सात्त्विक ब्राह्मणों
को खीर का भोजन करायें |
४] अमावस्या के दिन (२३ फरवरी को ) खीर का भोजन करें
|
५] २४ फरवरी को निम्नलिखित संकल्प करें तथा ६ मार्च
तक केवल दूध पीकर रहें |
संकल्प :
मम सकलगुणगणवरिष्ठमहत्त्व-सम्पन्नायुष्मत्पुत्रप्राप्तिकामनया
विष्णुप्रीतये पयोव्रतमहं करिष्ये |
व्रत-समाप्ति के अगले दिन (७ मार्च को ) सात्त्विक ब्राह्मण को तथा अतिथियों
को अपने सामर्थ्य-अनुसार शुद्ध, सात्त्विक भोजन करना चाहिए | दीन, अंधे और असमर्थ
लोगों को भी अन्न आदि से संतुष्ट करना चाहिए | जब सब लोग खा चुके हों तब उन सबके
सत्कार को भगवान की प्रसन्नता का साधन समझते हुए अपने भाई-बंधुओं के साथ स्वयं
भोजन करें |
इस प्रकार विधिपूर्वक यह व्रत करने से भगवान प्रसन्न होकर व्रत करनेवाले की
अभिलाषा पूर्ण करते हैं |
टिप – ब्राह्मण-भोजन के लिए बिना गुड़-मिश्रित खीर बनायें एवं एकादशी (६ मार्च)
के दिन खीर चावल की न बनायें अपितु मोरधन, सिंघाड़े का आटा, राजगिरा आदि उपवास में
खायी जानेवाली चीजें डालकर बनायें |
ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२० से
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