महान आत्माएँ धरती पर आना चाहती हैं लेकिन उसके लिए संयमी पति-पत्नी की
आवश्यकता होती है | अत: उत्तम संतान की इच्छावाले दम्पति गर्भाधान से पहले
अधिक-से-अधिक ब्रह्मचर्य का पालन करें व गुरुमंत्र का जप करें | अनुष्ठान करके
उत्तम संतान हेतु सद्गुरु या इष्टदेव से प्रार्थना करें, फिर गर्भाधान करें |
वर्तमान समय में २७ दिसम्बर २०१९ से १५ फरवरी २०२० तक का समय तो गर्भाधान के लिए
अतिशय उत्तम है |
गर्भाधान के लिए अनुचित काल
पूर्णिमा, अमावस्या, प्रतिपदा, अष्टमी, एकादशी, चतुर्दशी, सूर्यग्रहण,
चन्द्रग्रहण, पर्व या त्यौहार की रात्रि (जन्माष्टमी, श्रीरामनवमी, होली, दिवाली,
शिवरात्रि, नवरात्रि आदि), श्राद्ध के दिन, प्रदोषकाल ( १. सूर्यास्त का समय, २.
सूर्यास्त से लेकर ढाई घंटे बाद तक का समय ), क्षयतिथि एवं मासिक धर्म के प्रथम ५
दिन, माता-पिता की मृत्युतिथि, स्वयं की जन्मतिथि, संध्या के समय एवं दिन में
समागम या गर्भाधान करना भयंकर हानिकारक है | दिन के गर्भाधान से उत्पन्न संतान
दुराचारी और अधम होती है |
शास्त्रवर्णित मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, नहीं तो आसुरी,
कुसंस्कारी या विकलांग संतान पैदा होती है | संतान नहीं भी हुई तो भी दम्पति को
कोई खतरनाक बीमारी हो जाती है |
गर्भाधान के पूर्व विशेष सावधानी
अपने शरीर व घर में धनात्मक ऊर्जा आये इसका तथा पवित्रता का विशेष ध्यान रखना
चाहिए | महिलाओं को मासिक धर्म में भोजन नहीं बनाना चाहिए तथा अपने हाथ का भोजन
परिवारवालों को देकर उनका ओज, बल और बुद्धि क्षीण करने की गलती कदापि नहीं करनी
चाहिए |
गर्भाधान घर के शयनकक्ष में ही हो, होटलों आदि ऐसी-वैसी जगहों पर न हो |
ध्यान दें : उत्तम समय के अलावा के समय में भी यदि गर्भाधान हो गया हो तो
गर्भपात न करायें बल्कि गर्भस्थ शिशु में आदरपूर्वक उत्तम संस्कारों का सिंचन करें
| गर्भपात महापाप है |
विशेष : १] उत्तम संतानप्राप्ति हेतु महिला उत्थान मंडल के ‘दिव्य शिशु
संस्कार केन्द्रों’ का भी लाभ ले सकते हैं |
सम्पर्क : ९१५७३०६३१३
२] उत्तम संतानप्राप्ति में सहायक विस्तृत जानकारी हेतु पढ़े आश्रम की समितियों
के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध पुस्तक ‘दिव्य शिशु संस्कार’ | सम्पर्क : (०७९)
६१२१०७३०
ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२० से
No comments:
Post a Comment