पंचमहाभूतों के सात्त्विक तन्मात्र से मन और ज्ञानेन्द्रियाँ बनती हैं, राजस तन्मात्र से कर्मेन्द्रियाँ और प्राण बनते हैं तथा तामस तन्मात्र से विषय और बाह्य पदार्थ बनते हैं |
मन चार प्रसिद्ध हैं : मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार | इसीको अंत:करण-चतुष्टय कहते हैं |
ज्ञानेन्द्रियाँ पाँच है : श्रोत (कान), त्वक (त्वचा), चक्षु (नेत्र), रसना (जिव्हा) और घ्राण (नासिका) |
कर्मेन्द्रियाँ पाँच है : वाक्, पाणि (हाथ), पाद (पैर), उपस्थ (जननेंद्रिय) और पायु (गुदा) |
प्राण दस है : इनमें पाँच मुख्य प्राण है – प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान |
पाँच उपप्राण हैं - नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त और धनंजय |
ऋषिप्रसाद – मार्च २०२० से
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