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Tuesday, March 31, 2020

एक - एक वचन ....जो बदल देगा आपका जीवन





Ø दूसरों का कल्याण करने के विचारमात्र से ह्रदय में एक सिंह के समान बल आ जाता है |

Ø अपने में जो योग्यता है इसे बहुजनहिताय खर्च करो, आप सुयोग्य बन जायेंगे |

Ø सभी समस्याओं का समाधान, सभी विफलताओं का अंत और सभी सफलताओं की कुंजी है भगवान में विश्रांति पाना |

Ø ब्रह्म का ज्ञान नहीं होगा, वास्तव में ज्ञान (परम तत्त्व स्वरूप ज्ञान-सत्ता ) ही ब्रह्म है और अपने को ईश्वर नहीं मिलेगा, अपने-आप को जानना ही ईश्वर का मिलना है |

Ø आज तक तुमने दुनिया का जो कुछ भी जाना है वह आत्मा-परमात्मा के ज्ञान (ब्रह्मज्ञान) के आगे दो कौड़ी का भी नहीं हैं |

Ø सुख बाहर से जो अंदर भरे वह ‘बेटाजी’ और सुख अपने-आप है, उसे जो बाहर दे दें वे ‘बापूजी’! सब बन जाओ न ‘बापूजी’ !

Ø कुटिलता, चालाकी, झूट-कपट, बात बनाना – यह मौत की तरफ ले जाता है और जो जैसा है वैसा सहज में रहना, बताना अर्थात सच्चाई यह ब्रह्मप्रद है | ज्यादा बकवास करने की क्या जरूरत है ? ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है |

Ø जो दूसरों को स्नेह, आनंद और निर्भीकता देता है वह अनंत गुना स्नेह और आदर पा लेता है |

Ø किसी भी परिस्थिति में दिखती हुई कठोरता व भयानकता से भयभयित नहीं होना चाहिए | कष्टों के काले बादलों के पीछे पूर्ण प्रकाशमय एकरस परम सत्ता सूर्य की तरह सदा विद्यमान है |

Ø जिसे हम छोड़ना चाहें तो भी कभी छोड़ न सकें उसीका नाम है भगवान और जिसे रखना चाहो तो भी सदा रख न सको उसीका नाम हा संसार !

Ø गिरते हुए को उठाने से मनुष्य स्वयं के जीवन को उठा हुआ पाता है |

Ø धर्म क्या है ? जो कर्म आत्मा की तरफ ले जाय वह धर्म है |

Ø कितनी खुशखबर है कि शरीर का कुल-गोत्र चाहे कुछ भी हो, तुम्हारा तो कुल-गोत्र परमात्मा है !

Ø सद्गुरु के ह्रदय में जिसकी जगह बन गयी वह जितना धनवान है उतना जगत का कोई व्यक्ति धनवान नहीं है | जिसके पास गुरुकृपारूपी धन है वह सम्राट से भी ज्यादा सुखी है | सत्संग से जो उपलब्धियाँ होती हैं वे दुनिया के किसी लौकिक कर्म से नहीं होती !

Ø एक साथ एक समय पर दो भाव नहीं रह सकते | दुःख के समय यदि दो मिनट भी भगवदभाव किया तो वृत्ति भगवदाकार बन जायेगी और कितना भी बड़ा दुःख हो, उस समय नहीं रहेगा |

लोककल्याणसेतु – मार्च २०२० से

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