१] अकेले में मानसिक कल्पनाओं से पागलपन का अंश आ गया अथवा आलस्य है, चिडचिडा स्वभाव है – यह सब दिमाग की कमजोरी है | ऐसे लोगों को क्या करना चाहिए ? हाथों के अँगूठे के पासवाली पहली ऊँगली का अग्रभाग अँगूठे के अग्रभाग के नीचे स्पर्श कराओ और शेष तीन उंगलियाँ सीधी रखों | ऐसे ज्ञान मुद्रा करो और शवासन में सीधे लेट जाओ | दाँतों से जीभ को थोडा-सा बाहर निकालकर रखें | तो बड़े-बड़े इंजेक्शनो से और दिमाग के स्पेशलिस्टों से उतना लाभ नहीं होगा जितना इस प्रकार ज्ञान मुद्रा करने से ही हो जायेगा | थोड़े पागलपन की शुरुआत हो तो वह नियंत्रित हो जायेगा | चिडचिडापन, आलस्य, क्रोध, स्मरणशक्ति की कमजोरी व चंचलता नियंत्रित हो जायेगी और एकाग्रता बढ़ेगी, स्नायुओं में शक्ति बढ़ेगी | इसके साथ मामरा बादाम मिश्रण की औषध खा लें तो कहना क्या !
२] ॐकार का उच्चारण करें , भ्रूमध्य में ॐकार को, सद्गुरु को देखें | इससे बुद्धि विलक्षण ढंग से बढती है |
३] १५-२० मि.ली. आँवला रस १ कप गुनगुने पानी में मिलाकर भोजन के मध्य में घूँट –घूँट भर के २१ दिन पियें | मस्तिष्क और ह्रदय बलवान हो जायेंगे | ह्रदयाघात का भय सदा के लिए चला जायेगा |
४] ७ ग्राम जौ रात को भिगो दो और सुबह सोंठ का जरा-सा चूर्ण मिला के चबा-चबा के खाओ | ऊपर से थोडा पानी पी लो | बुद्धि बढ़ेगी |
५] नीम के पत्ते अथवा नीम की २ निबौली कूट के उनका गुदा मक्खन में डाल के निगल लेना | इससे शरीर ह्रष्ट-पुष्ट होगा |
६] बच्चों को कफ हो तो १ से १० बूँद अदरक का रस और आधा चम्मच शहद मिला के चटा दें | बच्चे बढ़िया रहेंगे |
ऋषिप्रसाद – मार्च २०२० से
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