(वसंत
ऋतू : १९ फरवरी से १८ अप्रैल )
वसंत
ऋतू का फायदा उठाओ | भगवान बोलते हैं : ऋतूनां कुसुमाकर: | ऋतुओं में वंसत तो मेरा
ही स्वरूप हैं |
छहों
ऋतुओं में श्रेष्ठ ऋतू वसंत ऋतू है | इसमें प्रकृति नवीन परिधान धारण करती है |
देखोगे तो कहीं नये पत्ते, फुल, टहनियाँ आदि देखने को मिलेंगे | वसंत ऋतू में शरीर
का कफ पिघलता है | सर्दी, खाँसी, बुखार, गले में खराश, चेचक, दस्त, उलटी, सिर भारी
होना आदि समस्याओं की सम्भावना बढती है | तो इन दिनों में धानी, भुने चने आदि
पदार्थ खाने चाहिए |
इस
ऋतू में मिठाई, सूखे मेवे, खट्टे-मीठे फल, दही तथा शीघ्र न पचनेवाले पदार्थों का
त्याग करना चाहिए | तीखे, कड़वे, कसैले पदार्थ तथा मुरमुरा, जौ, चना, मूँग, अदरक,
सोंठ , अजवायन, हल्दी, करेला, मेथी, मूली, शहद, गोमूत्र (अथवा पानी मिलाकर गोमूत्र
अर्क) आदि का उपयोग करना चाहिए | देर से पचनेवाले पदार्थ और आइसक्रीम, फ्रिज के
पानी आदि से परहेज करना चाहिए | इस मौसम में दिन में सोये तो आपकी तबियत लडखडायेगी
| हाँ, किसीने रात पाली की है तो भई,
मजबूरी से थोड़ी नींद तो कर ही लेनी पड़ेगी वरना हो सके तो दिन की नींद न
करें | कफवर्धक चीजों से परहेज करें | सूर्योदय के पूर्व उठ जाना, व्यायाम करना और
शौच आदि से निवृत्त हो जाना – यह सैकड़ों बीमारियों से रक्षा करता है | प्राणायाम
करना व उबटन से स्नान लाभदायी हैं |
लोककल्याणसेतु
– मार्च २०२० से
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