आजकल ‘गेहूँ के आटे की चक्की (नमकीन बर्फी)’ की सब्जी का प्रचलन बढ़ रहा है | लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सब्जी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है ! इसको बहुत ही विकृत ढंग से बनाया जाता है | इसे बनाने की प्रक्रिया में काफी पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं और हानिकारक तत्त्व उत्पन्न होते हैं | यह सब्जी बनाने के लिए एक दिन पूर्व गूँथे हुए बासी आटे का प्रयोग होता है | कई लोग इसमें मावा भी मिलाते हैं | इस आटे में नमक, अजवायन, हींग मिलाये जाते हैं, फिर उसकी लोई बनाकर तेल अथवा घी में तला जाता है और फिर उसे दूध में डालते हैं | यह प्रक्रिया ‘संस्कार विरुद्ध’ है | फिर स्वाद के लिए अलग से ग्रेवी बना के इस मिश्रण को दोबारा पकाया जाता है, यह विधि ‘पाक विरुद्ध’ हैं ( ग्रेवी की हानियाँ जानने हेतु पढ़े ऋषिप्रसाद, सितम्बर २०१९, पृष्ठ ३२ )| इस प्रकार बने हुए संस्कार व पाक विरुद्ध, तामसी अन्न पदार्थ शरीर एवं मन-बुद्धि पर विपरीत परिणाम करते हैं और आगे चलकर शरीर को गम्भीर बीमारियों का घर बना देते हैं | अत: ऐसे हानिकारक पदार्थो से बचें-बचाये | ताजे, पौष्टिक, सात्त्विक व परम्परागत रीति से बने आहार का सेवन करें |
सुश्रुत संहिता के अनुसार ‘जो मनुष्य अपनी अंतरात्मा तथा शरीर के स्वास्थ्य का रक्षण नहीं करता हुआ रसनेन्द्रिय के स्वाद में लालायित होकर रस और वीर्य (शीतवीर्य, उष्णवीर्य) आदि से विरुद्ध पदार्थो का सेवन करता है, वह रोग, इन्द्रियों की दुर्बलता और अंत में मृत्यु को प्राप्त होता है |’
उपरोक्त प्रकार की सब्जी के बजाय बेसन के गट्टों को भापकर अविकृत तरीके से बनायी गयी सब्जी कई गुना हितकारी है |
ऋषिप्रसाद – मार्च २०२० से
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