बालकों के लिए वच (घोडावच) सर्वश्रेष्ठ मेधा (उत्तम, श्रेष्ठ मति) वर्धक व रसायन (टॉनिक) औषधि है | नवजात शिशु से लेकर १ वर्ष की आयु तक के बालक के सिर पर (तालू के स्थान पर) वच का १ से २ चुटकी चूर्ण थोड़े-से तेल के साथ हलके हाथों से मलना चाहिए | इससे उसकी वाक्शक्ति, बुद्धि, मेधा व स्मृति में वृद्धि होती है |
अग्निपुराण (२८३. ३ – ४) के अनुसार बालकों को दूध, घी अथवा तेल के साथ वच का सेवन करायें (१ से ८ वर्ष के बालकों को राई के दाने से लेकर चने की दाल जितनी मात्रा तथा ८ से १५ वर्ष के बालकों को चने की दाल से ले के मटर के दाने जितनी मात्रा में दें ) अथवा मुलहठी चूर्ण तथा शंखपुष्पी को दूध के साथ पीने को दें | इससे उनकी वाक्शक्ति एवं रूप-सम्पदा के साथ आयु, बुद्धि और कांति की भी वृद्धि होती है |
(वच व मुलहठी के चूर्ण आश्रम के आरोग्यकेंद्रो पर उपलब्ध हैं | )
ऋषिप्रसाद – मार्च २०२० से
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