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Thursday, September 10, 2020

दोषो को नष्ट करने हेतु

 

अपने में जो कमजोरी है, जो भी दोष है उनको इस मन्त्र द्वारा स्वाहा कर दो | दोषों को याद करके मन्त्र के द्वारा मन-ही-मन उनकी आहुति दे डालो, स्वाहा कर दो |

मन्त्र :

ॐ अहं ‘तं’ जुहोमि स्वाहा | ‘तं’ की जगह पर विकार या दोष का नाम लें |

जैसे  : ॐ अहं ‘वृथावाणी जुहोमि स्वाहा |

ॐ अहं ‘कामविकार जुहोमि स्वाहा |

ॐ अहं ‘चिन्तादोश जुहोमि स्वाहा |

जो विकार तुम्हें आकर्षित करता है उसका नाम लेकर मन में ऐसी भावना करो कि ‘मैं अमुक विकार को भगवत्कृपा में स्वाहा कर रहा हूँ |’

इस प्रकार अपने दोषों को नष्ट करने के लिए मानसिक यज्ञ अथवा वस्तुजन्य ( यज्ञ-सामग्रीसे ) यज्ञ करो | इससे थोड़े ही समय में अंत:करण पवित्र होने लगेगा, चरित्र निर्मल होगा, बुद्धि फूल जैसी हलकी व निर्मल हो जायेगी,निर्णय ऊँचे होंगे | इस थोड़े-से श्रम से ही बहुत लाभ होगा | आपका मन निर्दोषता में प्रवेश पायेगा और ध्यान-भजन में बरकत आयेगी |

ऋषिप्रसाद – सितम्बर २०२० से

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