हे विद्यार्थी ! तू अपने जीवन में दैवी सद्गुणों को भर दें, तभी तू इस लोक और परलोक – दोनों जगह सुखी रह सकेगा | दैवी गुणों में पहला गुण है – निर्भयता | जरा -जरा बात में डरो नहीं | जरा- जरा बात में घबराओ नहीं | डरना है , घबराना है तो पाप से डरो | ‘दोस्त की हाँ में हाँ नहीं मिलाऊँगा तो वह नाराज हो जाएगा’ – इससे मत डरो |
दुराचारी, पापी, हिंसक लोग भले भयभीत रहें, सदाचारी, श्रेष्ठ लोग तो निर्भय बने रहें | निर्भयता शक्ति को विकसित करती है |
निर्भय व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है, मन-बुद्धि भी
बढिया रहते हैं | निर्भय व्यक्ति हर क्षेत्र में सफल होता है | भी के कारण बहुत
साड़ी मुसीबतें आती है |
ऋषिप्रसाद
– सितम्बर २०२० से
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