क्या करें
१] जौ की रोटी, मूँगदाल, कुलथी, पुराने चावल, लौकी, तोरई . परवल, पेठा, देशी गाय जा दूध आदि का सेवन
करें | सप्ताह में १-२ दिन पुनर्नवा ( गुजराती में साटोडी ) की सब्जी खायें |
२] कटिपिंडमर्दनासन,
सुप्तवज्रासन, पादपश्चिमोत्तासन, प्राणायाम, सूर्यस्नान व स्थलबस्ति करें | १५ दिन में एक दिन पूर्णत: निराहार रहकर
उपवास करें, केवल गुनगुना पानी पियें |
३] भोजन के बाद
मूत्रत्याग हितकारी है |
४] सूर्योदय से
कम-से-कम १ घंटा पूर्व उठें व रात को ताँबे के बर्तन में रखा हुआ २५०- ५०० मि.ली.
पानी प्रात: बासी मूँह पियें |
५] सादे नमक के
स्थान पर अल्प मात्रा में सेंधा नमक का उपयोग करें |
६] रसायन टेबलेट, पुनर्नवा अर्क व गोमूत्र अर्क का सेवन लाभदायी है |
क्या न करें
१] नमक, खमीरीकृत, मैदे व दूध से बने ( दही, पनीर, मावा आदि ) एवं पचने में भारी पदार्थ, फास्ट फ़ूड, विरुद्ध आहार,
टमाटर, अचार, चाय, कॉफ़ी व मिठाई का सेवन न करें | प्रोसेस्ड फ़ूड ( जैसे – ब्रेड, केक, बिस्कुट आदि) का सेवन न करें |
२] एल्युमिनियम व नॉन
-स्टिक बर्तनों में भोजन न बनाये | रिफाइंड तेल का उपयोग न करें |
३] अनुचित समय पर
सोने व जागरण से गुर्दों की कार्यक्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है | दिन में न
सोयें |
४] मूत्र के वेग को
न रोकें व पानी कम मात्रा में न पियें | पर्याप्त पानी न पीने से गुर्दों से
विषैले पदार्थ बाहर न निकलने से पथरी तथा एनी रोग हो जाते है | (अत: पुरे दिन में
कम-से-कम २ लीटर पानी अवश्य पियें |)
५] जिन्स आदि भारी,
तंग कपड़े न पहने | शुद्ध सूती कपड़े पहने, जिससे
पसीना निकलता रहे और गुर्दों पर दबाव कम पड़े |
ऋषिप्रसाद
– सितम्बर २०२० से
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