मुँह में तेल भरकर कुछ समय तक घुमाने को ‘तेल का कवल-धारण’
कहते हैं | इससे अनेक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है, जैसे – हिलते दाँत,
मसूड़ों से खून बहना, दाँतो में दर्द व पीलापन,
कम दिखाई-सुनाई देना, कानदर्द, कान में आवाज
आना, मुँह का सुखना,
मुँह में लार ज्यादा आना, गले के रोग आदि | इससे शरीर में ताजगी,
स्फूर्ति, शक्ति, स्मरणशक्ति, अच्छी भूख,
गहरी नींद स्वाभाविक रूप ले लौट आती है |
विधि : प्रात: खाली पेट एक चम्मच ( लगभग १०-१५ मि.ली.) तिल का शुद्ध
गुनगुना तेल मुँह में घर लें | मुँह बंद रखकर उसे अच्छे -से चारों तरफ घुमायें |
इससे अच्छी तरह लार बनती है और मुख की श्लेष्मिक झिल्ली के माध्यम से दोष और
विषाक्त पदार्थ तेल में खींच लिए लिये जाते हैं | ऐसा करने से ८-१० मिनट में तेल
दूषित, पतला और सफेद हो जाता है | फिर तेल को थूककर मुँह को
गुनगुने पानी से अच्छी तरह साफ़ कर लें | यह प्रयोग प्रतिदिन एक बार कर सकते हैं |
लोककल्याणसेतु – सितम्बर २०२० से
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