दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात भाईदूज तक एक स्वच्छ कमरे में दीपक
जलाकर एवं सम्भव हो तो गौ-गोबर और अन्य औषधियों से बनी धूपबत्ती जला के, पीले
वस्त्र धारण करके पश्चिम की तरफ मुँह करके बैठे | ललाट पर तिलक ( हो सके तो केसर
का ) कर स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रात:काल इस मन्त्र की दो
मालाएँ जपें :
ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे |
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि |
तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात |
तेल का दीपक व धूपबत्ती लक्ष्मीजी की बायीं ओर, घी का दीपक दायी ओर एवं
नैवेद्य आगे रखा जाता है | लक्ष्मीजी को तुलसी तथा मदार (आक) या धतूरे का फूल नहीं
चढाना चाहिए, नहीं तो हानि होती है | घर में लक्ष्मीजी के वास,
दरिद्रता के विनाश और आजीविका के उचित निर्वाह हेतु यह साधना करनेवाले पर
लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है |
ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०२० से
No comments:
Post a Comment