२५ अक्टूबर : दशहरा, विजयादशमी ( पूरा दिन शुभ महूर्त ), संकल्प,
शुभारम्भ, नूतन कार्य , सीमोल्लंघन के लिए विजय मुहूर्त ( दोपहर
२:१८ से ३:०४ तक ), गुरु-पूजन, अस्त्र-शस्त्र- शमी वृक्ष – आयुध-वाहन पूजन
२७ अक्टूबर : पापांकुशा एकादशी ( इस दिन उपवास करने से कभी यमयातना नहीं
प्राप्त होती | यह स्वर्ग, मोक्ष, आरोग्य, सुंदर स्त्री, धन व मित्र
देनेवाली है | इसका व्रत माता, पिता व पत्नी के पक्ष की १०-१० पीढ़ियों का उद्धार करता है
|)
३० अक्टूबर : शरद पूर्णिमा ( व्रत हेतु) एकादशी (२७ अक्टूबर से ३१ अक्टूबर तक
) रात्रि में चन्द्रमा को कुछ समय एकटक देखें व पूर्णिमा की रात में सुई में धागा
पिरोयें, इससे नेत्रज्योति बढती है |
३१ अक्टूबर से ३० नवम्बर : कार्तिक मास व्रत व पुण्यस्नान ( इसमें आँवले की
छाया में भोजन करने से पाप नष्ट हो जाता है व पुण्य कोटि गुना होता है |)
८ नवम्बर : रविवारी सप्तमी ( सूर्योदय से सुबह ७: ३० तक), रविपुष्यामृत योग
( सूर्योदय से सुबह ८:४६ तक )
११ नवम्बर : रमा एकादशी ( चिन्तामणि व कामधेनु के सामान सर्व मनोरथपूर्तिकारक
व्रत), ब्रह्मलीन मातुश्री श्री माँ महँगीबाजी का महानिर्वाण दिवस
१३ नवम्बर : धनतेरस, उम दीपदान, नरक चतुर्दशी ( रात्रि में मंत्रजप से मन्त्रसिद्धि)
१४ नवम्बर : नरक चतुर्दशी (तैलाभ्यंग स्नान), दीपावली ( रात्रि में किया
गया जप-तप, ध्यान-भजन अनंत गुना फलदायी )
१६ नवम्बर : नूतन वर्षारम्भ (गुजरात), कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा ( पूरा दिन
शुभ मुहूर्त, सर्व कार्य सिद्ध करनेवाली तिथि), भाईदूज,
विष्णुपदी संक्रांति ( पुण्यकाल : सुबह ६:५५ से दोपहर १:१७ तक) (ध्यान,
जप व पुण्यकर्म का लाख गुना फल )
ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०२० से
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