श्वास भीतर जाए- बाहर आए उसको देखिये ... कि श्वास जा रही है बाहर ... आ रही है आती-जाती श्वास को जो देखते हैं उनका मन एकाग्र हो जाता है . और मन अगर चंचल हो ... कोई इधर-उधर की बात मन में आए तो ५ से १० सेकंड अंदाज़े से श्वास को रोक दीजियेगा जब श्वास को रोकेंगे कुछ सेकंड के लिए तो मन भी रुक जायेगा .... मन की चंचलता रुक जाएगी श्वास की गति को देखते रहे साक्षी हो कर.... द्रष्टा होकर
दूसरा प्रयोग दोनों हाथो की हथेली बंद आँखों पर रख दी...आँखों पर दबाव पड़े उस ढंग से हाथ की हथेली ... मात्र आँखों की पलकों को छू जाए बस ...दबाना नहीं और बंद आँखों से आज्ञाचक्र पर देखें और भावना करें कि मेरी शक्ति जो बाहर बिखर रही थी वो आज्ञाचक्र की और संचित हो रही है हाथ फिर हटा सकते हैं पर आँख बंद रहे और बंद आँखों से आज्ञा चक्र की और देखें ..हरि ॐ शांति ... हरि ॐ शांति ..पारमार्थिक शांति पानेवाला व्यक्ति अपने जीवन में सदैव सफल और सुखी रहता है
दोनों हाथ की उंगलियाँ मिला दी और बीचे गर्दन को पकड़ो दोनों हाथ की कोहनी आमने-सामने ला दीं और अपना सिर दायें-बाएं घुमाएँ ...अच्छी तरह से खींचो फिर ऊपर-नीचे, फिर से दायें से बाये.... ऐसे अश्वचालिनी मुद्रा करें रोज सुबह २-३ मिनट करें
दूसरा एक प्रयोग जब आप रात को सोने के लिए बिस्तर पर बैठें हों ... अब सोना ही है .. सब काम हो गया ..नींद लेनी है तो देखें कि नींद मेरे शरीर पर उतर रही है ...श्वास को देखें और नींद को भी देखें कि मेरे शरीर पर ये सुषुप्ति अवस्था आ रही है .. जो इष्ट मंत्र हो वो होठों में ... मन में बोलते हुए सो गये
Etah Shri Sureshanandji 4th Dec'11
No comments:
Post a Comment