ध्यान का श्वास के साथ बड़ा सम्बन्ध है जिसको भी ध्यान में गहराई पानी हो उसको चाहिए की चलते वक्त ...खाते वक्त .... सोने से पहले ...यात्रा समय में ...अपनी श्वास के प्रति जागृत रहे .... श्वास को निहारता रहे कि श्वास आ रही है ... जा रही है बुद्ध जो ध्यान कराते थे... उस प्रक्रिया का नाम था आनापान सती योग ...मतलब केवल श्वास के प्रति सजाग रखो और जहाँ ध्यान-जप आदि के लिए बैठे हों वहां धूप कर दिया जाए ताकि हमारे फेफड़ो में carbon dioxide न रहे ..इससे स्वाभाविक ही श्वास गहरा लेंगे और पवित्र ... सुगन्धित धूप अन्दर जाने से oxygen भरेगा... क्यूँकि फेफड़ो में carbon dioxide होने से मन शांत नहीं होता और जितना व्यक्ति का अंतःकरण अशांत वो ध्यान की गहराईयों से दूर रहेगा
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-श्री सुरेशानंदजी सूरत 25/12/2011
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