आँवले को धात्रीफल भी
कहा जाता है | यह त्रिदोषशामक, विशेषकर पित्त व कफ शामक है | आँवला शुक्रवर्धक,
रुचिकर, भूखवर्धक, भोजन पचाने में सहायक, मल-मूत्र को साफ़ लानेवाला व शरीर की
गर्मी को कम करनेवाला है | यह शरीर की रस, रक्त आदि सप्तधातुओं के दोषों को दूर
करता है |
आँवले के सेवन से
शरीर में धातुओं का निर्माण होता है , इस प्रकार यह युवावस्था को बनाये रखने में
सहायक है | जिन्हें अधिक पसीना आता हो, मुँह में छाले हों, नकसीर फूटती हो या जलन
हो उन्हें इसके रस अथवा चूर्ण का उपयोग करना चाहिए |
गुणकारी आँवले के कुछ
औषधीय प्रयोग
१] जिन्हें भोजन में
अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद
मिलाकर लेना लाभकारी है |
२] नाक, मूत्रमार्ग,
गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन,
रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो
बार लेना लाभदायी है |
३] आँवला रस में ४
चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें | यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ
औषधि है |
४] अम्लपित्त,
सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या
चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है |
५] रक्ताप्लता या
पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का
पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है |
६] आँवला एवं मिश्री
का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो
जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढती है |
सेवन- मात्रा : आँवला
चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.
ध्यान दें : रविवार व
शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है |
ऋषिप्रसाद
– मई २०१९ से
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