Search This Blog

Thursday, May 30, 2019

गुणकारी सौंफ के है ढेरों लाभ


मधुर होने से सौंफ को ‘मधुरिका’ भी कहते हैं | यह शीतल होने से पित्तशामक तथा स्निग्ध व मधुर होने से वातशामक है | यह सुंगधित, तीखी व कड़वी, पचने में हलकी तथा बल-वीर्यवर्धक, भूखवर्धक है | यह बुद्धि व दृष्टी शक्ति वर्धक है | यह रक्त की शुद्धि करती है एवं ह्रदय को बल देती है | सौंफ कफ को पिघलाकर बाहर निकालने में सहायक है एवं मल-मूत्र को साफ करनेवाली है |

जलन, खाँसी, दमा, उलटी, पेटदर्द, पेचिश, बवासीर, अजीर्ण, पेट फूलना, बुखार, कृमि, गुर्दों के रोग व प्लीहा वृद्धि आदि में सौंफ लाभदायी है |

प्रसूति के बाद सौंफ का सेवन करने से माता के दूध की शुद्धि व वृद्धि होती है, बच्चे को दूध पचाने में सहयोग होता है | योनि –संबंधी रोग, पीड़ायुक्त अथवा रुकावट के साथ मासिक स्त्राव आदि महिलाओं की समस्याओं में भी इसका सेवन लाभदायी है |

भूनकर खाने से यह अधिक लाभप्रद होती है | भोजन के बाद सौंफ के सेवन से ह्रदय व मस्तिष्क को बल मिलता है, नेत्रज्योति व बुद्धि बढ़ती है |

ध्यान दें : सौंफ का एक प्रकार, जिसे सोया (सोआ, शतपुष्पा) कहते हैं, वह उष्ण, तीक्ष्ण व पित्तकारक होती है |

सौंफ के औषधीय प्रयोग
१] जलन व प्यास की अधिकता : शरीर की आंतरिक जलन, हाथ-पैर व पेशाब में जलन, प्यास की अधिकता आदि में १ गिलास पानी में १-१ चम्मच सौंफ और पीसी मिश्री मिला के मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें तथा सुबह मसलकर छान के पियें |

२] सूखी खाँसी : भुनी हुई सौंफ व मिश्री को समभाग मिला लें | आधा-आधा चम्मच मिश्रण सुबह-शाम लें |

३] स्वप्नदोष : ६ ग्राम सौंफ – चूर्ण दूध के साथ सुबह-शाम लें |

४] शरीरिक दुर्बलता : १०० ग्राम सौंफ और ५० ग्राम मिश्री महीन पीस के मिला लें | २५० मि.ली. गोदुग्ध में ६ ग्राम मिश्रण व १० ग्राम घी मिला के सुबह-शाम सेवन करें |

५]  मासिक धर्म की खराबी: २५० मि.ली, पानी में १० ग्राम सौंफ व २० ग्राम पुराना गुड़ डाल के पकायें | जब ६० मि.ली. पानी रह जाय तब छान के पी लें | यह प्रयोग दिन में १-२ बार करें | इससे पीड़ायुक्त अथवा रुकावट के साथ होनेवाले मासिक की तकलीफ में राहत मिलती है |

गर्मी की बीमारियों में लाभकारी
इस मौसम में कइयों की आँखे जलती हैं, कइयों की गर्मी के कारण रात को १२ बजे के आसपास नींद के खुली जाती है | ऐसे लोगों को ५०-५० ग्राम धनिया, सौंफ, आँवला चूर्ण व मिश्री मिला लेना चाहिए | फिर १०-१२ ग्राम मिश्रण को दोपहर १-२ बजे भिगो दें और शाम को ४-५ बजे मसल के पी लें, इससे लाभ होगा | मुँह में छाले होंगे तो वे भी ठीक हो जायेंगे |

पेशाब की जलन, अनिद्रा – सब दूर हो जायेंगे | और इस २०० ग्राम मिश्रण में २५ ग्राम हल्दी भी मिलाकर इस विधि से उपयोग करेंगे तो स्वप्नदोष, धातुक्षय, वीर्य की कमी में फायदा होगा | माताओं-देवियों को पानी पड़ने (श्वेतप्रदर) की तकलीफ होगी तो चली जायेगी | चेहरे पर भी निखार आयेगा और फोड़े-फुंसी होंगे तो वे भी दूर हो जायेंगे |

लोककल्याणसेतु – मई २०१९ से

No comments: