सूर्य एवं चन्द्र की
किरणों में रखकर पुष्ट किया हुआ यह गुलकंद मधुर व शीतल है तथा मन को आह्लाद और
ह्रदय व मस्तिष्क को ठंडक पहुँचाता है | यह अम्लपित्त, आंतरिक गर्मी, प्यास की
अधिकता एवं हाथ-पैर, तलवों व आँखों में जलन, घामोरियाँ, मूत्रदाह, नाक व मल-मूत्र
के मार्ग से होनेवाला रक्तस्राव, अधिक मासिक स्राव जैसी पित्तजनित व्याधियों में
विशेष लाभदायी है |
रक्ताल्पता, कब्ज आदि तकलीफों में भी इसका सेवन अत्यंत लाभकारी
है | यह पेट के अल्सर व आँतों की सूजन को दूर करने में मदद करता है |
ऋषिप्रसाद
– मई २०१९ से
No comments:
Post a Comment