ब्राम्ही को सोमवल्ली
(अमृत-लता) भी कहते हैं | यह शीतल, रसायन, वात-पित्तशामक और पाचन के पश्चात शरीर
में मधुरता को बढानेवाली है | इससे बुद्धि और स्मृति से संबंधित मज्जा धातु का पोषण
होता है, जिससे आगे शुक्र धातु निर्मित होती है | मज्जा धातु का संबंध स्वरयंत्र
से होता है इसलिए जिन्हें अपना स्वर सुरीला बनाना हो उन्हें ब्राह्मी का सेवन करना
विशेषरूप से लाभदायी है |
ग्रीष्म ऋतू में
शरीरस्थ द्रव अंश का प्रमाण कम होने से पेशाब में जलन, पेशाब का संक्रमण, थकानआदि
तकलीफें होती हैं | इनमें ब्राह्मी का शरबत लाभदायी है |
त्रिदोषशामक होने से
प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकार) के सभी प्रकारों में ब्राह्मी घृत एवं मधुमेह को
छोडकर अन्य प्रकार के प्रमेहों में ब्राह्मी शरबत का सेवन हितकारी है |
(ब्राह्मी
घृत आश्रम के आरोग्यकेंद्रो व शरबत सत्साहित्य सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है |)
ऋषिप्रसाद
– मई २०१९ से
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